हिन्दू परम्परा में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। हमारे सनातन धर्म में प्रत्येक कार्य के लिए एक अभीष्ट मुहूर्त निर्धारित है। वहीं कुछ अवधि ऐसी भी होती है जब शुभ कार्य के मुहूर्त का निषेध होता है। इस अवधि में सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं। ऐसी ही एक अवधि है- जिसे ‘खरमास’ भी कहा जाता है।
क्या होता है ‘खरमास
जब सूर्य गोचरवश धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो इसे क्रमश: धनु संक्रांति व मीन संक्रांति कहा जाता है। सूर्य किसी भी राशि में लगभग 1 माह तक रहते हैं। सूर्य के धनु राशि व मीन राशि में स्थित होने की अवधि को ही ‘खरमास’ कहा जाता है। प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्र ने बताया कि ‘खरमास ‘ में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहारंभ व गृह प्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रत-उद्यापन आदि वर्जित रहते हैं।
कब तक रहेगा ‘खरमास’
ज्योतिषीय गणना के आधार पर इस वर्ष सूर्य 16 दिसंबर 2019 को रात्रि 12:10 पर धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं और 15 जनवरी 2020 को सुबह 07:54 तक इसी राशि में रहेंगे। इस महीने में हिन्दू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और कोई भी धार्मिक संस्कार नहीं होता है।
खरमास में क्या न करें
खरमास में गृह प्रवेश, मुण्डन, यज्ञोपवीत, विवाह, घर बनाना, भूमि और प्रापर्टी में निवेश, नई गाड़ी, नया कारोबार जैसी चीजें नहीं करनी चाहिए। नए कपड़े पहनने से भी बचना चाहिए।
भारतीय संस्कृति में प्रत्येक मांगलिक कार्यक्रम के लिए बृहस्पति ग्रह का बड़ा ही महत्व है। जब गुरु बृहस्पति ग्रह सूर्य के नजदीक आते हैं तो बृहस्पति की सक्रियता न्यून हो जाती है जिसे हम अस्त होना भी कहते हैं। ऐसी अवस्था में जितने भी मांगलिक कार्य हैं, उसे नहीं किया जाता है और इस अवस्था को खरमास या मलमास कहा जाता है।
क्या नर्क में जाता है खरमास में मरने वाला
मान्यता है कि खरमास में यदि कोई प्राण त्याग करता है तो उसे निश्चित तौर पर नर्क में निवास मिलता है। इसका उदाहरण महाभारत में भी मिलता है, जब भीष्म पितामह शरशैया पर लेटे होते हैं लेकिन खरमास के कारण वे अपने प्राण इस माह नहीं त्यागते। जैसे ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, भीष्म पितामह अपने प्राण त्याग देते हैं।
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा राँची
9031249105