Joharlive Team

रांची। बुढ़मू के एरुद गांव और उमेडण्डा के पूरब में कुख्यात नक्सली मोहन यादव की गोली मार कर हत्या की गई। वर्चस्व की लड़ाई में मोहन यादव मारा गया। टीपीसी के पहाड़ी जी ने हत्या की जिम्मेवारी ली। घटना बीते रात करीब 10 बजे की है। हत्या से पूर्व देर रात उमेदंडा स्थित हेरू जंगल में टीपीसी और मोहन यादव दस्ते के बीच मुठभेड़ भी हुई है। कुछ देर तक हुई दोनों तरफ से गोलीबारी में मोहन मारा गया। इसके बाद टीपीसी के लोग मौके से जंगल की तरफ भाग गए। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस ने पहुंचकर मोहन यादव के शव को बरामद कर लिया है। पुलिस ने मौके से एसएलआर का मैगजीन, गोलियां, नक्सल साहित्य जप्त की है।

  • संगठन से अलग मोहन में बनाया था अपना दस्ता, वसूलता था लेवी

बीते रात वर्चस्व की लड़ाई में मारा गया मोहन यादव ने नक्सली संगठन को छोड़ कर अलग से अपना एक नया दस्ता बनाया था। नए दस्ते में शामिल सदस्य लेवी वसूलने का काम करते थे। गिरोह का मुख्य पेशा ही सिर्फ लेवी वसूलना था। बुढ़मू, ओरमांझी, पिठौरिया और खलारी इलाके में मोहन यादव का दस्ता लेवी के लिए वाहनों में आगजनी भी करता है। नही मिलने पर फायरिंग की घटनाओं को भी अंजाम दे रहा है।
मोहन यादव ने लंबे समय तक भाकपा माओवादी में रहने के बाद खुद का गिरोह बना लिया। वहीं कभी पीएलएफआइ संगठन के लिए काम करने वाले कृष्णा यादव भी उसके गिरोह में शामिल हो गया था। मोहन यादव का दस्ता ठेकेदारों, कोयला व्यापारियों और कारोबारियों से लेवी वसूलता है। और लेवी नहीं देने पर वाहनों में आगजनी और फायरिंग की घटनाओं को अंजाम देकर दहशत फैलाने का काम करता है।

  • कई बार मुठभेड़ में बच निकला था मोहन यादव और कृष्णा यादव

बुढ़मू व खलारी इलाके में सक्रिय हार्डकोर उग्रवादी मोहन यादव और कृष्णा यादव दस्ता से बीते वर्ष 15 जुलाई की रात पुलिस की मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में मोहन यादव और कृष्णा यादव पुलिस की गोलियों से बचकर भाग निकला था। इससे पहले भी कई बार मोहन यादव के दस्ते के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई थी। लेकिन हर बार मोहन यादव बच कर भागने में सफल रहा।

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