नई दिल्ली: एमआरएनए कोविड वैक्सीन की तकनीक इजाद करने वाले दो वैज्ञानिक डॉ. कैटालिन कारिको और डॉ. ड्रियू वाइसमैन को मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार देने का एलान किया गया है.
बीबीसी के अनुसार, एमआरएनए यानी मैसेंजर रायबोन्यूक्लिक एसिड शरीर को प्रोटीन बनाने का तरीका बताती है. नोबेल पुरस्कार की वेबसाइट ने कहा कि आधुनिक समय में मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक के दौरान पुरस्कार विजेताओं ने टीका विकसित करने में अभूतपूर्व योगदान दिया है. डॉ. कैटालिन हंगरी मूल की अमेरिकी और बायोकेमिस्ट हैं. डॉ. ड्रू वाइसमैन पेन्न इंस्टिट्यूट ऑफ आरएनए इनोवेशन के निदेशक और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया के पेरेलमैन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर हैं. परंपरागत रूप से टीके में मानव शरीर में मृत या कमजोर वायरस डाले जाते हैं, ताकि यह उनके खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर सके. ताकि जब असल वायरस किसी को संक्रमित करे, तो उनका शरीर उससे लड़ने के लिए तैयार हो. हालांकि, एमआरएनए तकनीक में आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किया गया एमआरएनए, कोशिकाओं को किसी विशेष वायरस से लड़ने के लिए जरूरी प्रोटीन बनाने का निर्देश दे सकता है. कोविड-19 के लिए विकसित की गईं मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन में इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया था.
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