जामताड़ा : प्रखंड की प्रमुख लुखुमुनी सोरेन के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव पंचायत समिति की विशेष बैठक में मतदान के माध्यम से निरस्त हो गया। इस प्रक्रिया के दौरान जहां एक ओर लोकतांत्रिक प्रणाली का अनुपालन सुनिश्चित किया गया, वहीं दूसरी ओर प्रखंड कार्यालय में सियासी सरगर्मी पूरे चरम पर रही। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एसडीओ अनंत कुमार की अध्यक्षता में यह महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। बैठक की शुरुआत पंचायत समिति सदस्यों की गहमा-गहमी और अलग-अलग रायों के साथ हुई। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने प्रमुख के कार्यशैली पर सवाल उठाए, जबकि कुछ ने उनके पक्ष में मजबूत तर्क दिए।
लेकिन चर्चा किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी, जिसके बाद मतदान की प्रक्रिया अपनाई गई। एसडीओ अनंत कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि पंचायत समिति में कुल 34 सदस्य हैं, जिनमें से 31 सदस्य इस विशेष बैठक में उपस्थित थे। मतदान में 17 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया, जबकि 8 ने विरोध में मतदान किया। 6 वोट विभिन्न तकनीकी कारणों से अमान्य कर दिए गए। पंचायत समिति नियमावली के अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए कम से कम 25 सदस्यों का समर्थन आवश्यक था। आवश्यक संख्या नहीं मिलने के कारण प्रस्ताव खारिज कर दिया गया और प्रमुख लुखुमुनी सोरेन कुर्सी पर बनी रहीं। एसडीओ ने औपचारिक रूप से प्रस्ताव खारिज होने की घोषणा करते हुए सभी उपस्थित सदस्यों से आपसी मतभेद भुलाकर विकास की दिशा में मिल-जुल कर काम करने की अपील की।
प्रमुख लुखुमुनी सोरेन ने इस निर्णय को लोकतंत्र की जीत बताते हुए कहा कि वे सभी सदस्यों को साथ लेकर चलना चाहती हैं। उन्होंने उप प्रमुख नरेश तूरी समेत सभी सदस्यों को मिठाई खिलाकर धन्यवाद दिया और भविष्य में एकजुट होकर कार्य करने का संदेश दिया। प्रखंड कार्यालय परिसर में सुबह से ही भारी भीड़ और राजनीतिक हलचल देखी गई। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशासन ने सख्त सुरक्षा व्यवस्था की थी। बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती रही। प्रमुख लुखुमुनी सोरेन के पति आनंद टुडू जो कि झामुमो के वरिष्ठ नेता हैं, की मौजूदगी से झामुमो के कार्यकर्ता भी दिनभर प्रखंड कार्यालय में डटे रहे। इस मौके पर झामुमो जिला अध्यक्ष नरेंद्र मुर्मू, सांसद प्रतिनिधि अशोक मंडल, सगीर खान, अनवर अंसारी, तैयब अंसारी, इमरान अंसारी, अशोक सिंह, सोहराब अंसारी, मुखिया देवीसन हांसदा, पार्वती सोरेन, अलता देवी रिजवान शेख, सादिक अंसारी सहित कई पंचायत समिति सदस्य और स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि पंचायत स्तर पर राजनीतिक समीकरण किस तेजी से बदलते हैं और लोकतंत्र में बहुमत की अहम भूमिका होती है। वहीं प्रमुख ने कुर्सी बचाकर यह भी जता दिया कि संगठनात्मक एकजुटता और जनसंपर्क के बल पर संकट की घड़ी में भी स्थिरता बनाए रखी जा सकती है।
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