Joharlive Desk

पटना। बिहार में अक्तूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में एनडीए में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तय करना आसान नहीं होगा। भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू को बड़े भाई की भूमिका देने के लिए तैयार है। हालांकि सारी मुश्किल चिराग पासवान की लोजपा को लेकर है। भाजपा और जदयू दोनों चाहते हैं कि लोजपा की सीटों के लिए वे बड़ा दिल दिलाएं। ऐसे में सीटों के बंटवारे में रस्साकसी तय है।

2010 विधानसभा चुनाव में एनडीए में लोजपा नहीं थी। तब भाजपा 102 और जदयू ने 141 सीटों पर चुनाव लड़कर तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया था। इस बार जदयू और भाजपा दोनों लोजपा की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा चाहती है कि सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला 2010 वाला हो लेकिन इसमें लोजपा के लिए जदयू बड़ा दिल दिखाए। जबकि जदयू चाहती है कि लोजपा के मामले में भाजपा बड़ा दिल दिखाए। सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तैयार कर लिया है। 

पार्टी चाहती है कि वह खुद सौ सीटों पर, लोजपा तीस सीटों पर और बाकी बची 113 सीटों पर जदयू चुनाव लड़े। इसी महीने जब जदयू से सीटों के बंटवारे पर बातचीत होगी तो भाजपा इसी फॉर्मूले पर सहमति बनाने की कोशिश करेगी। जदयू के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि साल 2010 का फॉर्मूला ही उचित है। लोजपा के लिए भाजपा को बड़ा दिल दिखाना होगा। इसी फार्मूले पर आगे बढ़ने के लिए अगर लोजपा को 30 सीटें देनी है तो जदयू और भाजपा आधी-आधी सीटें दे। मतलब जदयू 126 और भाजपा 85 सीटों पर लड़े।

लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान इस स्थिति को भांप रहे हैं। यही कारण है कि बातचीत से पहले उन्होंने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। पार्टी 40 सीटों की मांग कर रही है। लोजपा को लगता है कि दबाव बनाने के बाद ही भाजपा और जदयू उसे इतनी सीट देने पर रजामंद हो सकती हैं। भाजपा और जदयू के लिए लोजपा को नजरअंदाज करना आसान नहीं है क्योंकि पासवान के स्वजातीय मतदाता राज्य के सौ से अधिक सीटों पर सक्रिय हैं।

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