रांचीः दिल्ली में नीति आयोग के शासी निकाय की बैठक में शामिल हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में मॉनसून की कम बारिश की वजह से सुखाड़ जैसी हालात से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष पैकेज देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण हर तीन-चार साल पर राज्य को सुखाड़ का दंश झेलना पड़ता है.
इस वर्ष भी अभी तक सामान्य से 50 प्रतिशत कम वर्षा हुई है एवं 20 प्रतिशत से भी कम जमीन पर धान की रोपनी हो पाई है. वर्त्तमान परिस्थिति में झारखंड सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है. मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि झारखंड राज्य के लिए विशेष पैकेज स्वीकृत किया जाए, जिससे कि सुखाड़ से निबटा जा सके.
मुख्यमंत्री ने कहा विगत दो वर्षों से कोविड-19 जैसी महामारी के फलस्वरूप झारखंड जैसे पिछड़े राज्य के आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इस कुप्रभाव को न्यूनतम करने के लिए राज्य सरकार अथक प्रयास कर रही है और बेहतर परिणाम भी मिल रहे हैं.
विगत ढाई वर्षों में झारखंड ने आर्थिक, सामाजिक विकास एवं सामाजिक न्याय के क्षेत्र में विभिन्न कदम उठाए हैं. प्रदेश की मूलभूत संरचना को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. इस आयाम को और अधिक बल देने हेतु केंद्र सरकार का सहयोग सभी राज्यों, विशेष कर झारखंड जैसे पिछड़े एवं आदिवासी बाहुल्य राज्य को प्राप्त होना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 तक 38 लाख किसानों में से मात्र 13 लाख किसानों को KCC मिल पाया था. पिछले 2 सालों में सरकार के अथक प्रयास से 5 लाख नए किसानों को KCC का लाभ प्राप्त हुआ है परंतु अभी भी 10 लाख से अधिक आवेदन विभिन्न बैंकों में लंबित हैं. राज्य सरकार नीति आयोग से सभी बैंकों को KCC की स्वीकृति हेतु आवश्यक निर्देश देने का आग्रह करती है. झारखंड में फसलों में विविधता लाने की दिशा में अभी तक कोई विशेष कार्य योजना पर कार्य नहीं हुआ है. कारण किसानों का सब्सिस्टेंस खेती पर केंद्रित होना. हमने धान अधिप्राप्ति को 2 वर्ष में 4 से 8 लाख टन तक पहुंचाया है, परंतु अभी भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए केंद्र सरकार और FCI के विशेष सहयोग की आवश्यकता है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में सिंचाई की सुविधाओं का घोर अभाव है एवं मात्र 20 प्रतिशत भूमि पर ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. राज्य में 5 लाख हेक्टेयर खरीफ की भूमि अपलैंड की श्रेणी में आती है, जिस पर फसलों में विविधता लाई जा सकती है, बशर्ते कि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. राज्य में दलहन एवं तिलहन के उत्पादन की असीम संभावना है. झारखंड राज्य में लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने हेतु एक विशेष पैकेज स्वीकृत किया जाए. बागवानी के क्षेत्र में विस्तार के लिए बिरसा हरित ग्राम योजना लागू की है.
इस योजना के क्रियान्वयन से जहां राज्य के गरीब किसान परिवारों को आजीविका का स्थायी अवसर दिया जा रहा है, वहीं एक बड़े क्षेत्रफल में परती टांड भूमि का बेहतर प्रबंधन और उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है. इस योजना के अंतर्गत अब तक लगभग 60,000 एकड़ टांड भूमि में आम एवं मिश्रित बागवानी सफलतापूर्वक की जा चुकी है. इस वित्तीय वर्ष में 25,000 एकड़ में बागवानी की प्रारंभिक गतिविधियों को कराया जा रहा है. इससे किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष औसतन 25,000/- से 30,000/- रुपये की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है.