Joharlive Desk
नई दिल्ली। निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के चारों दोषियों को तिहाड़ जेल में शुक्रवार सुबह ठीक 5.30 बजे फांसी दे दी गई। इसके साथ ही तिहाड़ में पहली बार एक साथ चार लोगों को फांसी दी गई है। इन चारों दोषियों को दुष्कर्म के एक मामले में फांसी की सजा दी गई।
अपडेट….
- चारों दोषियों के शवों का पोस्टमार्टम के लिए दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल भेज दिया गया है। वहां पांच सदस्यीय मेडिकल टीम पोस्टमार्टम करेगी। इसके बाद शवों को परिजनों को सौंप देंगे।
- निर्भया मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह तिहाड़ जेल में फांसी दिए जाने के बाद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित किया। जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया कि डॉक्टर ने जांच की और चारों को मृत घोषित कर दिया।
- 30 मिनट बाद फंदे से चारों शव उतारे गए। साथ ही पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी की जाएगी।
- चारों दोषियों को उनके सेल से उठाया गया। दैनिक क्रिया के बाद चारों को नहाने के लिए कहा गया। उन चारों के लिए जेल प्रशासन की ओर से चाय मंगाई गई, लेकिन किसी ने भी चाय नहीं पी। इस दौरान विनय ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया और रो-रो कर माफी मांगने लगा।
- उन्हें समझा-बुझाकर शांत कराया गया। उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई। फांसी घर में लाने से पहले चारों को काले कुर्ते-पजामे पहनाए गए। फिर उनके हाथ पीछे की ओर बांध दिए गए। इसके बाद जब उन्हें फांसी घर लाया जाने लगा तो एक दोषी सेल में ही लेट गया और जाने से मना करने लगा।
- किसी तरह उसे पकड़ कर फांसी घर तक लाया गया। फांसी कोठी से कुछ दूर पहले ही उनके चेहरे को काले कपड़े से ढंका गया। इसके बाद उनके पैरों को भी बांधा गया ताकि वे ज्यादा छटपटा न पाएं और एक दूसरे से टकराएं नहीं।
- इसके बाद ठीक साढ़े पांच बजे पवन जल्लाद ने जेल नंबर-3 के सुपरिटेंडेंट के इशारे पर लीवर खींच दिया। इस दौरान जल्लाद की मदद के लिए तीन जेल कर्मचारी भी मौजूद थे। फांसी के करीब आधे घंटे बाद डॉक्टरोंने चारों दोषियों को मृत घोषित कर दिया।
- पवन ने चार दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाकर आजाद भारत में तिहाड़ जेल में हुई फांसियों को लेकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया है। यहां एक ही अपराध के लिए चार दोषियों को एक साथ फांसी देने का यह रिकॉर्ड अब पवन के नाम है।
- वहीं, डीजी जेल दोषियों की फांसी से पहले 24 घंटे तक जागते रहे और जेल के भीतर ही मौजूद रहे। जेल नंबर तीन के सुपरिटेंडेंट सुनील, एडिशनल आईजी (जेल) राजकुमार शर्मा और जेल के लीगल ऑफिसर पूरी रात जागते रहे।
- दूसरी ओर फांसी के बाद पवन जल्लाद को कड़ी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल से मेरठ के लिए रवाना कर दिया गया है।
- भारत में यह पहली बार नहीं है, जब चार दोषियों को एक साथ फांसी की सजा दी गई हो। इससे पहले भी देश में चार लोगों को पुणे की यरवदा जेल में एक साथ फांसी दी जा चुकी है। 27 नवंबर 1983 को जोशी अभयंकर मामले में दस लोगों का कत्ल करने वाले चार लोगों को एक साथ फांसी दी गई थी।
- गौरतलब है कि जनवरी 1976 और मार्च 1977 के बीच पुणे में राजेंद्र जक्कल, दिलीप सुतार, शांताराम कान्होजी जगताप और मुनव्वर हारुन शाह ने जोशी-अभयंकर केस में दस लोगों की हत्याएं की थीं। ये सभी हत्यारे अभिनव कला महाविद्यालय, तिलक रोड में व्यावसायिक कला के छात्र थे, और सभी को 27 नवंबर 1983 को उनके आपराधिक कृत्य के लिए एक साथ यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।