देवघर : देवघर जिले में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, जिससे लोगों को जीना मुहाल हो गया है. खासकर शाम और सुबह के वक्त शीतलहर का असर अधिक बढ़ जाता है, जिससे सड़कों पर आवाजाही कम हो जाती है और लोग ठंड से बचने के लिए अपने घरों में ही कैद हो जाते हैं. इस कड़ी ठंड से राहत के लिए जिला प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और ठंड से बचाव की अपील की है.
गरीबों के लिए रैन बसेरा एकमात्र सहारा
ठंड के इस मौसम में गरीबों के लिए रैन बसेरा ही एकमात्र सहारा बनकर सामने आया है. देवघर नगर निगम द्वारा दो स्थानों पर रैन बसेरा संचालित किए गए हैं. एक रैन बसेरा देवघर शहर के बस स्टैंड के पास और दूसरा जसीडीह के पास स्थित है. इन रैन बसेरों में प्रतिदिन 35 से 40 लोग रात गुजार रहे हैं, जहां उन्हें गर्म पानी, कंबल और अन्य आवश्यक सुविधाएं दी जा रही हैं, ताकि वे ठंड से बच सकें.
रेस्क्यू अभियान और अलाव की व्यवस्था
नगर निगम के कर्मचारी सड़क किनारे ठिठुरते हुए गरीबों को रैन बसेरा में लाने के लिए रेस्क्यू अभियान चला रहे हैं. हर दिन यह अभियान चलाया जाता है और ऐसे लोगों को रैन बसेरा तक लाकर उन्हें गर्म पानी और कंबल मुहैया कराया जाता है. इसके अलावा, ठंड से राहत देने के लिए नगर निगम ने शहरभर के विभिन्न चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था भी की है, ताकि रिक्शा चालकों, ठेला चालकों और दिहाड़ी मजदूरों को ठंड से बचाव मिल सके.
नगर निगम की विशेष पहल
देवघर नगर निगम के सिटी मैनेजर हिमांशु कुमार ने बताया कि रैन बसेरा गरीबों के लिए इस कड़ाके की ठंड में महत्वपूर्ण स्थान बने हुए हैं. उन्होंने बताया कि नगर निगम के कर्मचारी सड़क पर निकलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई गरीब व्यक्ति ठंड में खुले आसमान तले न सो रहा हो. इसके साथ ही, नगर निगम की तरफ से रैन बसेरा में हर संभव सुविधा मुहैया कराई जा रही है.
रैन बसेरा की संख्या बढ़ाने की मांग
रैन बसेरा में ठंड से राहत पा रहे लोगों का कहना है कि इस सुविधा के कारण उन्हें इस हाड़ कंपाने वाली ठंड में खुले आसमान तले रात नहीं बितानी पड़ती. हालांकि, स्थानीय लोगों ने नगर निगम और जिला प्रशासन से रैन बसेरों की संख्या बढ़ाने की अपील की है, ताकि अधिक से अधिक गरीबों को इस सुविधा का लाभ मिल सके और वे ठंड से सुरक्षित रह सकें.
देवघर नगर निगम की तरफ से रैन बसेरा और रेस्क्यू अभियान जैसे उपायों से गरीबों को इस कड़ी ठंड में राहत मिल रही है. हालांकि, रैन बसेरों की संख्या बढ़ाकर और अधिक लोगों को ठंड से राहत दी जा सकती है.
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