हजारीबाग: जिले में बालू तस्करों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, जिसके कारण जरूरतमंदों को अधिक दाम चुकाने पर मजबूर होना पड़ रहा है. तस्करों की चाल-ढाल और संबंधित अधिकारियों की चुप्पी से यह स्थिति और गंभीर हो गई है. हाल ही में एनजीटी एक्ट 15 अक्टूबर को समाप्त हो गया, जिससे बालू उठाव पर लगाई गई रोक हट गई है. जबकी पहले भी, एनजीटी के प्रभाव में बालू उठाव पर रोक के बावजूद पेटादेरी, हजारीधमना, इटखोरी, ढाढ़र नदी, भगहर, और चोरदाहा से अवैध रूप से बालू का व्यापार जारी था. इस दौरान तस्कर एक हजार रुपए का बालू चार हजार रुपए में बेचते थे, जिससे उनकी जेबें भरती गईं. बालू तस्करी के इस धंधे में माफियाओं की चांदी हो रही है, जबकि आम लोगों की जेबें खाली हो रही हैं. 15 अक्टूबर के बाद बालू की कीमतें कम होने की उम्मीद है, लेकिन बिहार से अवैध रूप से बालू की आवाजाही अभी भी जारी है. इसके बावजूद तस्करों पर कोई प्रभावी कार्रवाई होती नहीं दिख रही है. हालांकि प्रशासनिक दबिश समय-समय पर होती रही है, लेकिन माफियाओं के पीछे सफेदपोशों का समर्थन होने के कारण अधिकारी कमजोर नजर आ रहे हैं. यह स्पष्ट है कि माफियाओं की लॉबिंग बहुत बड़ी है, और आम आदमी को बालू की उपलब्धता से वंचित रखा जा रहा है, जबकि बालू दैनिक कार्यों की चीज है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि तमाम तरह के प्रशासन द्वारा करवाई की बात कहे जाने और किए जाने के बाद भी धड़ल्ले से बालू की तस्करी हो रही है. जिस पर बड़ा सवाल उठना कोई हैरानी की बात नही है. अब देखना है इन तस्करों पर करवाई कब होती है. ताकि आम लोग को राहत मिल सके.