रांची: झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश और झालसा के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद के निर्देश पर बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में 2 दिन का विधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जेल में बंद कैदियों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना था, ताकि उनकी शिक्षा यात्रा में आई रुकावट को दूर किया जा सके.
कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा की गई कि जिन कैदियों की पढ़ाई जेल में आने के कारण रुक गई थी, उनके लिए दसवीं और बारहवीं कक्षा में नामांकन कराकर परीक्षा देने की व्यवस्था की जाएगी. इस कार्य में डालसा, रांची का सहयोग लिया जाएगा.
एनआईओएस के माध्यम से परीक्षा
केंद्र सरकार के तहत राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के माध्यम से इन कैदियों की परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. अब तक 46 कैदियों का नामांकन दसवीं कक्षा में और 13 कैदियों का बारहवीं कक्षा में किया जा चुका है. इसके अलावा, इग्नू, रांची के सहयोग से 13 कैदियों का स्नातक पाठ्यक्रम में नामांकन कराया जा रहा है.
जेल परिसर में ही इग्नू और एनआईओएस के स्टडी सेंटर खोले गए हैं, जिससे कैदी अपनी पढ़ाई जारी रख सकें. इन स्टडी सेंटर के जरिए कैदियों को शैक्षिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे और उनका नियमित अध्ययन सुनिश्चित किया जाएगा.
परीक्षाएं जेल परिसर में ही होंगी
इन कैदियों के लिए आगामी परीक्षा भी जेल परिसर में ही आयोजित की जाएगी, ताकि उनकी शिक्षा में कोई विघ्न न आए. जेल प्रशासन और शिक्षा विभाग मिलकर कैदियों के शैक्षिक हितों की देखरेख करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें पूर्ण शैक्षिक अवसर मिलें. झारखंड हाईकोर्ट और झालसा के इस प्रयास से यह उम्मीद जताई जा रही है कि जेल में बंद कैदी समाज की मुख्यधारा में लौटकर बेहतर जीवन जीने की ओर कदम बढ़ा सकेंगे.
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