Joharlive Desk
पूर्वी चंपारण: बिहार बॉर्डर पर नेपाल की एक और हिमाकत सामने आई है। पूर्वी चम्पारण के ढाका अनुमंडल में लाल बकेया नदी पर बन रहे तटबंध के पुर्निर्माण कार्य को नेपाल ने रुकवा दिया है।
नेपाल बांध के निर्माण स्थल को अपनी जमीन बताकर जबरन विवाद पैदा कर रहा है। ललबकेया नदी का पश्चिमी तटबंध 2017 में आयी प्रलयंकारी बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसकी मरम्मति का कार्य भी चलता रहा है। स्थानीय ग्रामीण का आरोप है कि इससे पहले जब भी नेपाल बांध की मरम्मती के काम में अडंगा लगाता था तब भारतीय और नेपाली अधिकारी मिल बैठ मामले को सुलझा लेते थे।
लेकिन इस साल मामला सुलझाने के बजाय नेपाली सशस्त्र सीमा प्रहरी ही मामले को और उलझाने में लगे हैं। इस दौरान नेपाल के बंजरहा गांव के ग्रामीणों ने भारत की SSB के साथ भी बदसलूकी की है। विवाद भारत नेपाल की सीमा को दर्शाने वाले पिलर नंबर 345/5 और 345/7 के बीच पांच सौ मीटर की जमीन पर है। इस मामले में जिला प्रशासन ने नेपाल में भारतीय महावाणिज्य दूतावास सहित केन्द्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार को पत्र भेजकर स्थिति बताई है।
तटबंध निर्माण का कार्य करा रहे सिंचाई विभाग के अभियन्ता बबन सिंह ने कहा है कि नेपाल सरकार ने करीब पांच सौ मीटर बांध की जमीन पर आपत्ति जताई है और वहीं काम को रोका गया है। इस बांध के निर्माण से पूर्वी चम्पारण जिला के ढाका और पताही में बाढ़ की तबाही को रोका जा सकेगा। वहीं तटबंध के निर्माण पर लगी रोक से बलुआ गुआवारी पंचायत के ग्रामीण बाढ़ की आशंका को लेकर डरे हुए हैं। नेपाल के तटबंध के निर्माण को रोकने से ग्रामीणों मे आक्रोश है।