इंदिरा देवी पहली ऐसी महिला योगा टीचर थीं, जिन्होंने विदेशों में योगा सिखाकर धाक जमाई. हॉलीवुड में तो बड़े बड़े स्टार्स उनके शिष्य बने. इंदिरा देवी ने 1930 के दशक में मैसूर के जाने माने योगागुरु तिरुमलाई कृष्णामचार्या से योग सिखा था. ये वही योग गुरु थे, जिन्होंने बीकेएस आयंगर और के पट्टाभि जैसे प्रसिद्ध योगाचार्यों को दीक्षित किया था. उन्होंने फादर ऑफ मार्डन योगा भी कहा जाता है.
आप हैरान हो सकते हैं कि इंदिरा देवी भारतीय नहीं थीं बल्कि विदेशी थीं. जब वो भारत योग सीखने आईं तो 20 साल से कुछ ज्यादा उम्र की थीं. हां, योग गुरु कृष्णामचार्या से योग सीखने वाली पहली महिला जरूर थीं. भारत मेंयोग सीखने के बाद वो चीन चली गईं, वहां पहली बार योगा क्लासेज उन्होंने ही शुरू कीं. बाद में जिस तरह से उन्होंने चीन और फिर अमेरिका में योग सीखाने का डंका बजाया, उससे उन्हें फर्स्ट लेडी ऑफ योगा कहा जाने लगा.
वो रूस में 12 मई 1899 में पैदा हुईं थीं. उनका असली नाम यूजिन झेन्या था. सेंट पीटर्सबर्ग से उन्होंने 1917 में गोल्ड मेडल के साथ ग्रेजुएशन किया. जब रूस में गृह युद्ध जैसी हालात पैदा हो गए तो वो मां के साथ 1917 में वहां से भागकर लातविया चली गईं. फिर पोलैंड, जहां वो उन्होंने एक एक्ट्रैस और डांसर के तौर पर नाम कमाना शुरू किया.
1926 में उन्होंने थियोसोफिकल सोसायटी की एक मीटिंग में जिद्दू कृष्णामूर्ति को सुना.संस्कृत मंत्रों का उनके ऊपर ऐसा असर हुआ कि उन्हें कोई ताकत अपने पास बुला रही है. बस उसी दिन से उनका जीवन बदल गया. वो भारत के प्रति मंत्रमुग्ध होती चल गईं. उसी दौरान रवींद्रनाथ टैगोर की एक किताब उन्होंने पढ़ी. इसने उन पर भारत को लेकर और असर डाला.
जब उनकी शादी बैंकर हर्मन बाम से होने वाली थी तो उन्होंने एक ही शर्त रखी कि वह पहले भारत जाना चाहती हैं. इस यात्रा का सारा खर्च उनके होने वाले पति ने ही उठाया. 1917 में नवंबर में वो भारत आईं. करीब पूरे देश का भ्रमण किया. जब वो लौटीं तो बदल चुकी थीं. उन्होंने हर्मन बाम की शादी की अंगुठी लौटा दी. वो फिर अपने बेशकीमती सामानों को बेचकर उससे मिले पैसे से तीन महीने बाद ही भारत आईं.
इसी दौरान वो नेहरू से मिलीं. बाद में लंबे समय तक वो नेहरू की मित्र रहीं. एक भारतीय फिल्म शेर ए अरब में उन्होंने काम भी किया. वो भारत में 1930 के दशक में फिल्म स्टार बन गईं. स्टेज पर एक्टिंग करने लगीं. यहीं उन्हें नया नाम मिला इंदिरा देवी. मुंबई में ही वो चेकोस्लोवाकिया के अताशे जान स्ट्राकेटी से मिलीं और उससे शादी कर ली.
फिर अचानक उनकी रुचि योगा में जगी. मैसूर के योगा गुरु कृष्णामचार्या उन्हें महिला होने के कारण योग नहीं सिखाना चाहते थे लेकिन महाराजा मैसूर के कहने पर उन्हें ऐसा करना पड़ा. लेकिन इंदिरा देवी के सामने उन्होंने कड़ी शर्त रखी कि वो पूरी तरह शाकाहारी हो जाएंगी और जल्दी सोएंगी औऱ जल्दी उठेंगी. मैसूर पैलेस की योगशाला में योग सीखने वाली वो पहली विदेशी महिला थीं. योग सीखने के बाद पति के साथ वो चीन चली गईं.
1939 में उन्होंने चीन में पहला योग स्कूल शंघाई में खोला. ये स्कूल राष्ट्रवादी नेता च्यांग काई शेक की पत्नी के घर पर खोला गया था. उसमें वो कई तरह के योगासन सिखाती थीं. पति की मौत के बाद वो फिर भारत आईं. उसी दौरान चीन में क्रांति हुई और उन्हें वहां अपनी सारी संपत्ति बेचकर अमेरिका जाना पड़ा.
कैलिफोर्निया में उन्होंने योगा स्टूडियो खोला. वो साड़ी पहनती थीं और खास तरीके से योगा सिखाती थीं. नतीजतन तमाम हॉलीवुड सेलिब्रिटी उनके पास योगा सीखने आने लगीं. वो फेमस होने लगीं.वो हठ योग से लेकर प्राणायाम तक सिखाती थीं. बड़े बड़े हॉलीवुड स्टार्स ने उनसे योगा सिखा. उसकी सबसे बड़ी वजह ये भी थी कि योगा उन्हें तनाव भरे जीवन से रिलैक्स करता था. उन्होंने जिस हॉलीवुड सेलिब्रिटी को योगा सिखाया उसमें ग्रेटा गार्बो, इवा गेबोर और ग्लोरिया स्वेंसन जैसी हस्तियां शामिल हैं.
इंदिरा देवी ने कई किताबें भी लिखीं. वो ताजिंदगी साड़ी ही पहनती रहीं. भारतीय संस्कृति और योगा का उन्होंने विदेशों में खूब प्रचार किया. वर्ष 2002 में उनका निधन हो गया.
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