Rajesh Tiwary
रांचीः सरकार की महत्वकांक्षी भारतमाला परियोजना जिला भू-अर्जन कार्यालय की लापरवाही के कारण फंस गया है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि भारतमाला परियोजना के तहत राजमार्ग संख्या 143डी लीट्टीबेड़ा(उड़ीसा से रांची) सिठियो खंड के लिये जो सिठियो, सोदाग व चेटे में कुल 82 प्लॉटों का गजट प्रकाशन होना था. उस गजट में केवल आधी प्लॉट का ही गजट प्रकाशन के लिए NHAI को भेजा गया. यानी 40 प्लॉटों के ही दस्तावेज भेजे गयें. बाकि, 42 प्लॉट कहां गये इस बारे में आज तक NHAI को जानकारी नहीं मिल पायी. जबकि, NHAI की ओर से लगातार इसकी जानकारी भू-अर्जन से मांगी जा रही है. पर उन्हें आज तक बाकि 42 प्लॉटों से संबंधित फाइल नहीं मिल पायी है.
जानकारी के मुताबिक 82 में से 40 प्लॉटों को खरीद-बिक्री के लिए प्रतिबंधित कर दिया. लेकिन, शेष 42 प्लॉटों की संचिका नहीं होने की वजह से वहां की जमीन की अधियाचना नहीं हो सकी है. जिस वजह से 42 प्लॉटों की जमीन की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध भी नहीं लग पाया.
जानकारी के अनुसार बाकि 42 प्लॉटों की संचिका कहां है इसको लेकर NHAI लगातार उपायुक्त को पत्र लिखकर जानकारी मांग रहा है. NHAI की ओर से 17 दिसंबर 2022, 6 फरवरी 2023, 15 जून 2023 व 11 सितंबर 2023 को पत्र भेजा गया है. NHAI की और से कई स्मार पत्र भी भेजे गए.
42 प्लॉटों के बारे में NHAI के महाप्रबंधक(तकनीकी) सह परियोजना निदेशक विजय कुमार ने डीसी को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है. डीसी को लिखे पत्र में कहा गया है कि अंचल नगड़ी मौजा चेटे थाना संख्या 256 में कुल 82 प्लॉटों में से केवल 40 प्लॉंटों का ही 3(ए) प्रारुप तैयार कर इस कार्यालय को प्रेषित किया गया था. जिसका भारत का राजपत्र में प्रकाशित हो चुका है. साथ ही यह भी अवगत कराना है कि प्रसांगिक पत्र संख्या(1) एवं (2) के द्वारा मौजा चेटे में बचे हुए 42 प्लॉट का 3(ए) प्रारुप तैयार कर NHAI को उपलब्ध कराने को कहा गया था पर अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है. बाकि प्लॉटों के 3(ए) का प्रारुप तैयार कर NHAI को उपलब्ध करा दें ताकि, आगे की कार्रवाई शुरू हो सके.
जानकारी के मुताबिक 3 ए भूमि अर्जित करने की प्रक्रिया है. इसके तहत केंद्र सरकार किसी सार्वजनिक उद्देश्य यानी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण आदि के लिए भूमि की आवश्यकता को देखते हुए इसके अधिग्रहण करने की घोषणा करती है.
NHAI ने यह भी लिखा है कि एक ही परियोजना में अलग-अलग समय पर 3 (ए) प्रकाशित करने से रैयतों के भूमि के मूल्य में अंतर आयेगा. जमीन के रेट बढ़ने पर रैयतों को ज्यादा कीमत देनी होगी. अक्सर जमीन की कीमतें बढ़ती है. काफी समय के बाद दूसरी जमीन का नोटिफेकेशन होगा, तो रैयतों को ज्यादा पैसे देने में परेशानी होगी.
NHAI ने यह भी लिखा है कि एक ही मौजा में दो अलग-अलग रेट होने पर रैयतों के बीच आपसी विवाद होगा. साथ ही भू-अर्जन में कानूनी अड़चनें भी होंगी.
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