दहेज मांगने और आदिवासी और दलित उत्पीड़न के मामले में झारखंड देश भर में तीसरे स्थान पर है। गुरुवार को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में कई चौकाऊं तथ्य सामने आए हैं। एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक, साल 2016 में दहेज उत्पीड़न के 1371 मामले झारखंड में दर्ज किए गए। वहीं दहेज मांगने के मामले में बिहार में 1055, उत्तरप्रदेश में सर्वाधिक 2867 मामले दर्ज हुए। कर्नाटक दहेज उत्पीड़न में 1698 मामले दर्ज हुए। एसटीएससी अधिनियम के तहत दर्ज मामले में भी झारखंड तीसरे पायदान पर है। झारखंड में एसटीएससी एक्ट के तहत 750 मामले दर्ज किए गए। वहीं इस धारा के तहत कर्नाटक में 1741, यूपी में 1066 जबकि बिहार में 284 मामले दर्ज किए गए हैं।

आबादी और अपराध की दर के हिसाब से झारखंड देशभर में 30 वें पायदान पर है। एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक, प्रति एक लाख की आबादी में झारखंड में 120.4 आपराधिक मामले दर्ज हुए। झारखंड में बीते तीन सालों में अपराधिक वारदातों में भी गिरावट आयी है। साल 2014 में 45335, 2015 में 45050 और 2016 में 40710 मामले दर्ज हुए।

क्या कहते हैं झारखंड के आंकड़े
– झारखंड में साल 2014 में 6321, 2015 में 7861 संज्ञेय अपराध हुए। 2016 में यह आंकड़ा घटकर 7107 रह गया। डकैती के 210 मामले दर्ज हुए।
– साल 2016 में हत्या के 1514 मामले दर्ज हुए। वहीं लापरवाही की वजह से मौत के 1932 मामले सामने आए हैं। तेजरफ्तार के कारण 1905 मामले सामने आए हैं।
– दहेज हत्या के 278 मामले सामने आए। दहेज की वजह से हत्या के प्रयास के 885 मामले थानों में दर्ज हुए। गलती से हुए मौत के 6 मामले धारा 308 के तहत दर्ज हुए।
– पूरे साल में एसिड अटैक का एकमात्र मामला सामने आया। वहीं तेजरफ्तार ड्राइविंग की वजह से 2001 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए।
– महिला सम्मान से जुड़े 667 मामले दर्ज किए गए। इसमें से यौन शोषण के 373 मामले सामने आए। दुष्कर्म के 1109, मामले दर्ज हुए, गैंगरेप के 77 मामले थानों में दर्ज हुए। दुष्कर्म के प्रयास के 179, अप्राकृतिक यौनाचार के 7 मामले दर्ज हुए।
– अपहरण के 1309 मामले दर्ज हुए, जिसमें से 35 मामलों में अपहरण के बाद हत्या और 31 मामलों में फिरौती के बाद रिहाई हुई। मानव तस्करी के कुल 160 मामले दर्ज हुए।
– जातिगत हिंसा के चार, गैरकानूनी जुटान के 516 मामले दर्ज हुए। सांप्रदायिक दंगा के 176, उद्योग के विरोध में दंगा के 17 और छात्रों के द्वारा दंगा के 54 मामले दर्ज हुए।

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