Ranchi : चाईबासा का सारंडा इलाका नक्सलियों के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता है. संगठन के शीर्ष नेताओं का ठिकाना सारंडा के विभिन्न इलाकों में बना हुआ है. लेकिन, जैसे-जैसे सुरक्षाबलों की टुकड़ियां जंगल को चारों तरफ से घेरते जा रही है. ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में बड़ा मुठभेड़ हो सकता है. सुरक्षाबलों की टुकड़ियों को दिन पर दिन सफलता मिल रही है. मिसिर बेसरा से लेकर कई नक्सलियों के बंकर को सुरक्षाबलों ने ध्वस्त कर दिया है. जंगल में बने और बंकरों की तलाश भी जारी है. सुरक्षाबलों से खुद को घिरता देख नक्सली अंदर जंगल में प्रवेश करते जा रहे है. लेकिन, सुरक्षाबल भी अपने मंसूबे को कमजोर न करते हुए आगे बढ़ते ही जा रहे हैं. सुरक्षाबलों की टुकड़ियां अलग-अलग दिशा से जंगल को घेरने में जुटी है.
बंकर और लैंड माइंस नष्ट किए बिना सारंडा फतह मुश्किल
झारखंड में कोल्हान को छोड़कर नक्सलियों के लगभग सभी सुरक्षित ठिकानों को सुरक्षाबलों ने तबाह कर दिया है, लेकिन सारंडा अभी भी बड़ी चुनौती बना हुआ है. सारंडा में नक्सली पुलिस को गहरे घाव भी दे रहे हैं. पिछले एक माह के दौरान सारंडा में दो जवान शहीद हो चुके हैं और 6 से अधिक घायल होने के कारण अस्पताल में इलाजरत हैं. हालांकि सारंडा को लेकर पूर्व में कई तरह के दावे किए गए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जब तक जंगली इलाकों में नक्सलियों द्वारा बनाए गए बंकरों और जमीन के नीचे लगाए गए आईईडी के चक्रव्यूह को पूरी तरह से ध्वस्त नहीं कर दिया जाता, तब तक सुरक्षा बलों के लिए सारंडा पर कब्जा करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है. सारंडा के घनघोर जंगलों में जब भी सुरक्षा बल आगे बढ़ रहे हैं, उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है. यह भी सच है कि इस दौरान 100 से अधिक बंकर, नक्सली ठिकाने और आईईडी नष्ट किए गए हैं.
60 से अधिक नक्सलियों की संख्या, अधिकांश इनामी
दरअसल, कोल्हान में शीर्ष नक्सली नेताओं ने पनाह ले रखा है. बूढ़ा पहाड़ के बाद कोल्हान ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जिसे नक्सलियों ने अपना मुख्यालय के रूप में स्थापित किया था. मुख्यालय होने के कारण यहां एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली नेताओं का भी बसेरा है. जानकारी के अनुसार, सारंडा में एक करोड़ रुपये का इनामी मिसिर बेसरा, अनमोल दा, टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष, मोछू, चमन, कंडे, अजय महतो, सागेन अंगारिया और अश्विन जैसे खतरनाक नक्सली कमांडर मौजूद हैं. इनके पास 60 से अधिक लड़ाके हैं, जो गुरिल्ला वॉर में माहिर हैं.
ये इलाके हैं बेहद खतरनाक
चाईबासा के जराइकेला, रेंगरा, टोंटो, सोनुवा, जेटेया, गुदरी और टुम्बाहाता ऐसे इलाके हैं, जहां के जंगलों में कदम-कदम पर नक्सलियों ने जमीन के नीचे मौत का सामान बिछा रखा है. इन वन क्षेत्रों में विस्फोटों के कारण पिछले डेढ़ साल में 22 ग्रामीणों की जान जा चुकी है. स्थिति यह है कि बाइक से भी जंगल में अभियान पर निकले जवान आईईडी बमों का शिकार हो रहे हैं.
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