रांची : प्रकृति पर्व सरहुल का आज (बुधवार) उपवास है. कल यानी 11 अप्रैल (गुरुवार) को शोभायात्रा निकलेगी. सरहुल आदिवासियों का त्योहार में से एक है. आदिवासी समुदाय के लोग इस पर्व को इतना महत्वपूर्ण मानते हैं कि अपने सारे शुभ कार्य की शुरुआत इसी दिन से करते हैं. पूजा में भाग लेने वाले और मौजा पहनने वाले सभी लोग आज व्रत रखेंगे. शाम को सरना स्थलों पर जलराखाई पूजा होगी.
आदिवासियों का त्योहार सरहुल को लेकर गांव के पहान विशेष अनुष्ठान करते हैं. जिसमें ग्राम देवता की पूजा की जाती है और कामना की जाती है कि आने वाला साल अच्छा हो. इस क्रम में पाहन सरना स्थल में मिट्टी के घड़े में पानी रखते हैं पानी के स्तर से ही आने वाले साल में बारिश का अनुमान लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के दूसरे दिन गांव के पाहन घर-घर जाकर फूलखोंसी करते हैं ताकि उस घर और समाज में खुशी बनी रहे. रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में होने वाली पूजा में राज्यपाल को आमंत्रित किया गया है. पूजा के बाद शोभा यात्रा निकाली जायेगी. सभी जुलूस सिरोमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल तक जायेंगे और अपने-अपने मौजा में लौट आयेंगे. 12 अप्रैल को फुलखोंसी का आयोजन किया जाएगा.
झारखंड में सरहुल महापर्व बहुत ही बड़े स्तर पर मनाया जाता है. जिसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों में बसने वाले आदिवासी समाज के लोग बड़े ही उत्साह के साथ भाग लेते हैं. इस दौरान पूजा के बाद शोभा यात्रा में विभिन्न टोला मोहल्ला से जुलूस निकाले जाते हैं. जिसमें आदिवासियों की सभ्यता और संस्कृति को झांकियों में दर्शाया जाता है.
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