Joharlive Desk
नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भारत की रक्षा योजना समिति (डीपीसी) की अध्यक्षता कर रहे हैं। माना जा रहा है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस), प्रभावी रूप से मिलिट्री डॉक्ट्रीन (सैन्य कार्रवाइयों की मार्गदर्शिका) पर अक्तूबर में सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे। इस रिपोर्ट में भविष्य के युद्ध, नौसैनिक अभियान बलों की आवश्यकता और व्यापक राष्ट्रीय शक्ति का प्रक्षेपण शामिल है।
यह बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट लगभग पूरी हो चुकी है और अगले महीने इसे जमा करने से पहले इसमें कुछ अंतिम कार्य शेष हैं। इस कार्य से जुड़े तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार या सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) द्वारा इंडियन मिलिट्री पॉश्चर को परिभाषित करने वाले मूलभूत दस्तावेज को स्वीकार किए जाने के बाद रिपोर्ट का अवर्गीकृत हिस्सा सार्वजनिक किया जाएगा।
डीपीसी का गठन अप्रैल 2018 में हुआ था लेकिन रिपोर्ट को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के एक नए पद की घोषणा तक लंबित रखा गया था। इस पद की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण के दौरान की थी। भारत के पहले सीडीएस के तौर पर वर्तमान सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत को बनाया जा सकता है। जिनका कार्यकाल दो साल का होगा।
रक्षा मंत्रालय जहां रिपोर्ट को लेकर चुप्पी साधे हुए है वहीं माना जा रहा है कि रिपोर्ट भारत के परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल न किए जाने के दृष्टिकोण को स्पष्ट करेगी। माना जा रहा है कि रिपोर्ट में भारत के संभावित मोर्चों पर सैन्य खतरे को परिभाषित किया जाएगा। भारतीय सेना आज दो मोर्चों उत्तर और पश्चिम पर एक साथ सैन्य खतरों का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रही है।
इस रिपोर्ट के आधार पर रक्षा मंत्रालय इस बात का फैसला करेगा कि उसे कितनी मात्रा में गोलाबारूद को स्टॉक में रखना है। वर्तमान में भारत ने 10 दिनों के युद्ध के लिए गोलाबारूद तैयार रखे गए हैं। यह दस्तावेज आने वाले सालों में इंडियन नेवल पॉश्चर पर भी प्रकाश डालेंगे जिसमें विदेश में लड़ने के लिए भेजे जाने वाले दल की जरूरत भी शामिल होगी। कमेटी इस बात का भी जवाब देगी कि क्या भारतीय नौसेना को और विमानों की जरूरत है या नहीं।