नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने झारखंड के साहिबगंज के विंध्य पहाड़ियों में स्टोन क्रेशर द्वारा अवैध खनन करने और पर्यावरण नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाने पर ईडी को जांच का आदेश दिया है। NGT चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने झारखंड के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वो पर्यावरण नियमों की खुलेआम अनदेखी करने पर स्टोन क्रेशर संचालकों और जिम्मेदार अधिकारियों पर आपराधिक मामले दर्ज करने का आदेश दे।
एनजीटी ने कहा कि इस मामले में मनी लाउंड्रिंग का भी अंदेशा है, इसलिए ईडी के निदेशक को निर्देश दिया कि वो इस मामले को देखें और चार महीने के अंदर एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करें। एनजीटी ने कहा कि साहेबगंज का राजमहल हिल्स इलाके में खनिज संपदा प्रचूर मात्रा में है। इस इलाके में खनन कंपनियां मनमाने तरीके से खनन का काम कर रही हैं और वे स्टोन क्रशिंग का काम कर रहे हैं। इस काम में वे पर्यावरण नियमों का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखते हैं। इसका असर पहाड़ों पर पड़ रहा है।
इस इलाके में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एनजीटी ने कई आदेश जारी किए थे. एनजीटी ने 6 जुलाई 2017 और 17 अप्रैल 2018 को आदेश जारी कर पर्यावरण नियमों का पालन करने का आदेश दिया था। एनजीटी के आदेश के बावजूद पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। उसके बाद एनजीटी ने एक कमेटी का गठन किया जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक भी शामिल थे। एनजीटी ने इस कमेटी की रिपोर्ट पर 7 मई 2019 को विचार किया और पाया कि पर्यावरण नियमों की बड़े पैमाने पर उल्लंघन के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। 11 सितंबर 2019 को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव ने एनजीटी को बताया कि इलाके में 407 स्टोन क्रशर हैं और 300 पत्थरों की खानें मौजूद हैं। पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करनेवाले ईकाईयों पर जुर्माना लगाया गया और छह करोड़ 33 लाख रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया। एनजीटी के आदेशों के बावजूद राज्य सरकार अवैध खनन पर लगाम लगाने में असफल रही।