रांची. झारखंड विधानसभा भवन में अल्पसंख्यकों को नमाज पढ़ने के लिए अलग से कमरा आवंटित करने क मुद्दे पर प्रदेश की सियासत गर्मा गई है. सत्ता पक्ष और बीजेपी आमने-सामने है. सदन से लेकर सड़क तक घमासान मचा हुआ है. बीजेपी की ओर से जारी विरोध के बीच राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि सरकार किसी भी सूरत में बैकफुट पर जाने को तैयार नहीं है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास इस मामले को लेकर बेहद आक्रामक रुख अपना लिया है. साथ ही पूर्व सीएम ने 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दे दिया है.
रघुबर दास ने इस बाबत विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा कि लोकतंत्र के मंदिर विधानसभा में नमाज के लिए अलग कमरे के आवंटन का निर्णय ठीक नहीं है. सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए. विधानसभा स्पीकर को लिखी अपनी चिट्ठी में रघुबर दास ने इसे संविधान विरोधी करार दिया है. उन्होंने अल्टीमेटम दिया कि अगर 24 घंटे के अंदर सरकार अपना फैसला नहीं बदलती है तो वह विधानसभा परिसर के मुख्यद्वार पर धरना पर बैठ जाएंगे.
रघुबर दास ने चिट्ठी में लिखा है कि विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी पत्र वापस लिया जाए. उन्होंने आगे लिखा है कि किसी भी व्यक्ति विशेष का अपने पंथ और धर्म के अनुसार प्रार्थना करना उसकी व्यक्तिगत निष्ठा से जुड़ा है. इस पर किसी को आपत्ति नहीं है, पर विधानसभा में संविधान की शपथ लेनेवाले जनप्रतिनिधि बैठते हैं. विधि विधान बनाए जाते हैं. संविधान की मूल भावना पंथ निरपेक्षता को आत्मसात करने की रही है. ऐसे में माननीय सदस्यों या नागरिकों के साथ भेदभाव की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. यदि स्पीकर ने किसी दबाव, प्रभाव या आग्रह से नमाज के लिए अलग कमरा दिए जाने का आदेश दिया है तो उसे वापस लें. इससे संवैधानिक मूल्यों और पंथ निरपेक्षता की रक्षा होगी. साथ ही अध्यक्ष पद की गरिमा भी बची रहेगी.