Joharlive Desk

अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस सम्पूर्ण मातृ-शक्ति को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है, जिसका ममत्व एवं त्याग घर ही नहीं, सबके घट को उजालों से भर देता है। मां का त्याग, बलिदान, ममत्व एवं समर्पण अपनी संतान के लिये इतना विराट है कि पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाए तो मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है। संतान के लालन-पालन के लिए हर दुख का सामना बिना किसी शिकायत के करने वाली मां के साथ बिताये दिन सभी के मन में आजीवन सुखद व मधुर स्मृति के रूप में सुरक्षित रहते हैं। इसीलिये एच. डब्ल्यू. बीचर ने कहा कि मां का हृदय बच्चे की पाठशाला है।

मां एक शब्द भर नहीं…वैसे तो मां को याद करने के लिए कोई खास दिन मुकर्रर नहीं हो सकता। मां की दुआएं हमेशा साथ होती हैं। मां की ममता हमेशा सही रास्ता दिखाती है। लेकिन आज मदर्स डे है…मां को याद करने और पुकारने का दिन।

मां की भूमिका हमेशा अपने बच्चों के लिए ममता भरी होती है। आप दूसरों से कोई कटु वचन बोल देंगे तो वह आपसे रिश्ता तोड़ लेगा, लेकिन अगर मां से बोल देंगे तो वह यही सोचेगी कि आप किसी परेशानी में हैं। मां ही सबसे पहले आप पर विश्वास करती है। आप अगर उसे गलत भी बता देंगे तो भी वह आप पर विश्वास कर लेगी, क्योंकि मां मासूम होती है, ममता होती है। हमारे लिए तो हमारी मांएं ही सब कुछ हैं। हम दोनों की मांओं (नीता पांडे नेगी की मां नीलम पांडे और जागृति लूथरा प्रसन्ना की मां संतोष लूथरा) ने हमें बचपन से बहुत प्यार दिया है।

उन्होंने हमारी प्रतिभा को पहचाना और यह मुकाम दिलाने में जी-जान से जुटी रहीं। वे हमें संगीत प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों में ले जातीं और रियाज करने के लिए प्रेरित करतीं। आज हम जो कुछ भी हैं, वह सिर्फ अपनी मांओं की वजह से हैं। हमारी मांओं की ही दी हुई यह शिक्षा है कि हम भी अपने बच्चों को परखती हैं।

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