नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आज सभी हितधारकों और विशेष रूप से निजी क्षेत्र का आह्वान किया कि वे देश भक्ति का जज्बा दिखाते हुए भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपना अधिक से अधिक योगदान दें।
श्री मोदी ने आम बजट में देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की योजनाओं पर चर्चा के लिए शुक्रवार को आयोजित वेबीनार को संबोधित करते हुए इस क्षेत्र से जुड़े सभी हित धारकों का आह्वान किया कि वे मुनाफे और अन्य बातों को छोड़कर देश भक्ति तथा देश सेवा के जज्बे के साथ देश को ताकतवर बनाने की दिशा में काम करें। निजी क्षेत्र का विशेष रूप से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि देश को आपसे उम्मीदें हैं और निजी कंपनियों को देश सेवा के लिए मिले इस मौके को खोना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि अब यह सोचने का समय समय नहीं है कि कितना मुनाफा होगा और कब होगा अभी हमें केवल देश को ताकतवर बनाने के बारे में सोचना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन इसलिए किया गया है कि सरकार सभी हित धारकों से प्रैक्टिकल समाधान सुनना चाहती है। उन्होंने कहा कि बजट के क्रियान्वयन में अभी एक महीने का समय है और इस दौरान सभी को मिलकर चर्चा तथा योजना बनानी चाहिए जिससे कि बजट के प्रावधानों को एक अप्रैल से ही जमीन पर उतारा जा सके।
उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बराबरी करें तथा देश सेवा में बढ़-चढ़कर योगदान दे । इसके लिए बजट में अनुसंधान एवं विकास के लिए 25 प्रतिशत राशि का आवंटन किया गया है साथ ही एक विशेष उपक्रम की स्थापना की व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष और ड्रोन सेक्टर को भी निजी क्षेत्र के लिए खोला जा रहा है। साथ ही देश में बनाए जा रहे दो रक्षा गलियारों से भी निजी क्षेत्र को अपना योगदान देने में मदद मिलेगी।
सरकार के ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के निगमीकरण के फैसले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इससे इनकी कार्य संस्कृति बदली है और इनके बिजनेस का विस्तार तेजी से हो रहा है तथा इन्हें बड़े-बड़े आर्डर मिल रहे हैं। सरकार की नीतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे रक्षा क्षेत्र में निर्यात में छह गुना की बढ़ोतरी हुई है और अब भारत 75 से भी ज्यादा देशों को रक्षा उपकरण तथा सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के चलते पिछले सात वर्षों में 350 से भी अधिक औद्योगिक लाइसेंस दिए गए हैं जबकि वर्ष 2001 से लेकर 2014 तक केवल 200 लाइसेंस दिए गए थे।
श्री मोदी ने कहा कि बाहर से हथियार खरीदने की प्रक्रिया इतनी जटिल तथा लंबी होती है की सेना को हथियार मिलने के समय तक वे आउटडेटेड हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद इस बात को महसूस कर चुके हैं कि जब सैनिक स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल करते हैं तो उनका मनोबल तथा उत्साह बहुत ऊंचा रहता है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से प्रौद्योगिकी आधारित हथियार इतनी तेजी से आउटडेटेड होते हैं कि इसका अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता। इस समस्या से निपटने के लिए हमें अपनी सूचना प्रौद्योगिकी ताकत तथा सामर्थ्य का इस्तेमाल करना होगा।
इसके बल पर ही देश सुरक्षा के क्षेत्र में आश्वस्त हो सकेगा। उन्होंने इसके लिए साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ने पर जोर दिया ।
उन्होंने कहा कि हथियारों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में इतनी होड़ है की परस्पर प्रतिद्वंद्वी कंपनियां एक दूसरे के उत्पाद के बारे में असमंजस तथा अनिश्चितता की स्थिति बनाती रहती हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनते हैं और सभी हथियारों तथा उपकरणों का देश में ही विनिर्माण करते हैं तो हमारे सामने इस तरह की समस्या पैदा ही नहीं होगी। उन्होंने कहा कि विदेशों से हथियार के आयात पर पाबंदी लगाने की दिशा में अब तक दो सूची जारी की जा चुकी है और तीसरी सूची भी जल्द ही आने वाली है। इन सूचियों में शामिल हथियारों तथा उपकरणों का विदेशों से आयात करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है।