JoharLive Desk

नयी दिल्ली : गत मई अप्रैल में हुये लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये महाराष्ट्र और हरियाणा में आगामी 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव पहली बड़ी परीक्षा होंगे।

वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में इन दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनी थी । हरियाणा में भाजपा अकेले सत्ता में आयी थी जबकि महाराष्ट्र में उसने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनायी थी । चुनाव आयोग शनिवार काे दोनो राज्यों के चुनाव कार्यक्रम को घोषणा की। दोनो राज्यों में एक चरण में 21 अक्टूबर को चुनाव होंगे तथा 24 अक्टूबर को परिणाम घोषित किये जायेंगे।

महाराष्ट्र में पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा और शिवसेना ने अलग – अलग चुनाव लड़ा था और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी थी लेकिन उसने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनायी थी। उस समय में सत्तारुढ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का भी आपसीचुनावी समझौता नहीं पाया था। इन दोनों दलों ने अलग अलग चुनाव लड़ा था और उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।

पिछले चुनाव में 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए भाजपा ने 260 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे और उसे 122 सीटों पर सफलता मिली थी । शिवसेना ने 282 सीटों पर चुनाव लड़ा था और वह 63 सीट जीतने में कामयाब रही थी । कांग्रेस ने 287 सीटों पर उम्मीदवार उतारा था लेकिन वह 42 विधानसभा क्षेत्रों में ही जीत पायी थी जबकि 278 क्षेत्रों में चुनाव लड़ने वाली राकांपा 41 सीट पर विजयी रही थी ।

शिवसेना को चुनौती देने का मंशा वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने 229 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थी और उसके सिर्फ एक उम्मीदवार कामयाबी का झंडा फहरा सके । इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को भी एक सीट मिली थी लेकिन वामपंथियों का खाता तक नहीं खुला था । पिछले चुनाव में 70 निबंधित संगठनों तथा 1699 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपना चुनावी किश्मत आजमाया था जिनमें से सात निर्दलीय चुनाव जीत गये थे ।

हरियाणा में 2014 में हुये विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार सफलता हासिल कर कांग्रेस के दस वर्ष के शासन को समाप्त किया था। भाजपा ने नये चेहरे मनोहर लाल खट्टर को सरकार की बागडोर सौंपी थी। भाजपा ने 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये थे जिनमें से 47 निर्वाचित हुए थे। राज्य के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस 15 सीट ही जीत पायी थी। इंडियन नेशनल लोकदल ने 88 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार खड़े किये थे और 19 सीटों पर विजयी हुये थे ।

गत लोकसभा चुनाव में चली मोदी लहर में इन दोनों राज्यों में भाजपा को भारी सफलता मिली। उसने हरियाणा की सभी दस सीटों पर कब्जा किया। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और 48 में से 41 सीटें जीती थीं। भाजपा को 23 और शिवसेना 18 सीटें मिली थीं। कांग्रेस और राकांपा को सिर्फ पांच सीटें मिल पायी थी। इनमें से कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी।

लोकसभा चुनाव में 303 सीटें जीतने वाली भाजपा के लिये इन दोनों राज्यों के चुनाव पहली बड़ी परीक्षा होगी। हरियाणा में जहां वहां अकेले चुनाव लड़ेगी वहीं महाराष्ट्र में अभी शिवसेना के साथ मिलकर कर चुनाव लड़ने को लेकर पेंच फंसा हुआ है। शिवसेना बराबर सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। वहीं मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर दोनों में सहमति नहीं बन पा रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह रविवार काे मुंबई में होंगे। वह दोनों दलों के नेताओं से बातचीत कर सीटों के बंटवारे को अंतिम रुप दे सकते हैं। कांग्रेस और राकांपा 125- 125 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं।

लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार ने तीन तलाक , जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त कर दो केन्द्र शासित प्रदेश बनाने , असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लागू करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं । इसके साथ ही अर्थिक मंदी से निपटने के लिये अर्थ व्यवस्था में सुधार के लिए कई कदम उठाये जा रहे हैं । भाजपा दोनों राज्यों में इन्हें भुनाने का प्रयास करेगी।

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