रांची : आज के टाइम में हमेशा फोन के साथ बिजी रहने का चलन बढ़ गया है, या यूं कह लें कि बच्चों से लेकर हर जनरेशन के लोग मोबाइल एडिक्ट हो चुके है. हाल ये है कि अब वैज्ञानिकों ने भी कह दिया है कि मोबाइल का एडिक्शन किसी नशा से कम नही है. अभी की पीढ़ी को ऑउटडोर गेम जैसे बैडमिंटन, बैट- बॉल, कैरम, चेस नहीं चाहिए बस उसे एक मोबाइल चाहिए जिसमें अच्छा कैमरा हो, आकार बड़ा हो कुछ एप्लीकेशन जैसे instagram, Facebook, you-tube और Whatsapp हो. इंसान के दोस्त वर्चुअल हो गए हैं, जो पोस्ट डालने वाले के भावनाओं के अनुसार इमोजी भेजते हैं. लोग इसे ही अपनी वास्तविक खुशी समझ रहे हैं और लोगों को लग रहा है मेरी दुनिया सिर्फ यही है.

आज के सोशल मीडिया के शौकीन युवा फेम और महज लाइक्स पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है. साउथ कोरिया में हुआ अध्ययन बताता है कि लड़कियों में स्मार्टफोन का एडीक्शन अधिक है. वहीं चीन के वन्नान मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स पर हुई स्टडी के अनुसार लडक़ों (30.3 %) और लड़कियों (29.3 %) में मोबाइल से चिपके रहने की आदत लगभग बराबर थी. शोध में शामिल कुल युवाओं में से 29.8 प्रतिशत मोबाइल एडीक्शन के शिकार पाए गए.

इंसान मोबाइल के अधीन

इंसान मोबाइल को चलाने के लिए उठाता तो अपनी मर्जी से है लेकिन अपनी मर्जी से मोबाइल को छोड़ नहीं पाता है. इसके पीछे का मुख्य कारण गूगल है जो आपको वही दिखाता है जो वो देखना चाहता है.

गूगल के पास आपकी इंटरेस्ट की जानकारी कहां से पहुंची?

गूगल में आप लोग जो भी सर्च करते हैं वो जानकारी गूगल अपने पास रख लेता है और उसके अनुसार ही आपको विज्ञापन दिखाता है या जिस प्रकार के वीडियोज को आप लाइक करते हैं उसी प्रकार के वीडियोज दिखाता है.

उदाहरण के लिए यदि आपने गूगल में लैपटॉप या मोबाइल सर्च किया है तो आप कोई भी वेबसाइट खोलिए या यू-ट्यूब खोलिए हर जगह आपको लैपटॉप या मोबाइल ही दिखाई देगा. ये तो हुई विज्ञापन की बात अब you-tube या instagram के वीडियोज की बात करते हैं, यदि आपने you-tube में खाने से संबंधित वीडियो सर्च किया है तो इसकी प्रबल संभावना है कि अगली बार you- tube आपको शुरू में खाने से संबंधित ही वीडियो दिखाए.

पास होकर भी दूर हैं

वर्तमान में यह स्थिति है कि यदि किसी घर में 3 सदस्य हैं तो इसकी संभावना प्रबल है कि तीनों सदस्य आपस में बात करने की बजाय अपना-अपना मोबाइल चलाने में व्यस्त होंगे और तब तक मोबाइल नहीं छोड़ेंगे जब तक या तो बैटरी लो न हो जाये या फिर कोई बहुत ही आवश्यक कार्य न आ जाए.

मोबाइल का उपयोग

जब मोबाइल बना था तो किसी व्यक्ति ने यह कल्पना नहीं की होगी कि मोबाइल का इस्तेमाल कॉल करने एवं रिसीव करने के अलावा किसी अन्य रूप में किया जाएगा. मोबाइल को बनाने के पीछे का कारण साफ था कि सुदूर बैठे व्यक्ति से संपर्क कर पाना एवं कुशलता की जानकारी प्राप्त कर पाना. लेकिन आजकल बगल कमरे में बैठे व्यक्ति से पानी मंगाने या wi- fi ऑन करने के लिए भी मोबाइल का इस्तेमाल किया जा रहा है.

पंछी आजाद है और इंसान कैद में…

यदि पहले के समय के लोगों की बात की जाए तो उस समय के लोग घर में रहने से ज्यादा बाहर खेलने में रूचि लेते थे. स्थिति यह भी थी कि वो लोग अंधेरा होने या फिर घर से बुलावा आने पर ही घर जाते थे अन्यथा दोस्तों के साथ खेलते ही रहते थे और अभी की स्थिति यह है कि बैटरी लो होने पर ही खाना खाने की या घर वालों की याद आती है.

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