बड़कागांव: बड़कागांव में त्रिवेणी सैनिक के मजदूर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए है , त्रिवेणी सैनिक और मजदूरों के बीच दो बार वार्ता हुई और त्रिवेणी द्वारा मजदूरों को यह आश्वस्त किया गया कि आप सभी की मांगों को लेकर आपदा के बाद बात की जाएगी । लेकिन मजदूर इंतेज़ार करने को तैयार नहीं और धरने पर बैठ गए I इस बात को लेकर बड़कागांव प्रशासन द्वारा मजदूरों को वहाँ से हटाने का प्रयास किया गया जिसमे प्रशासन और मजदूरों के बीच झड़प भी हुई, कई मजदूरों को आपदा के नियमो का उल्लंघन करने के मामले में गिरफ्तार भी कर लिया गया है।
अब मजदूरों के समर्थन में विधायक अम्बा प्रसाद भी धरने में बैठ गई है , अब यह अपने क्षेत्र की जनता के लिए अम्बा का प्यार है या राजनीतिक स्टंट , इसे आप अच्छे से समझ सकते है I अम्बा क्या चाहती है इसे समझिये।
जैसा कि आपको पता है कि अभी कोरोनाकाल चल रहा है , और इस वक्त आपदा के नियम कानून पूरे राज्यभर में लागू है , और इस नियम के अंतर्गत आप किसी तरह का भीड़ इकट्ठा नही कर सकते है , एक जगह पर चार व्यक्ति जमा नही हो सकते , फिर चाहे मामला जो भी हो , अगर आप ऐसा करते है तो फिर आप पर आपदा के नियम के मुताबिक केस बनता है और आपको इसके लिए जेल भी जाना पड़ सकता है ।
सरकार इस कोरोनाकाल मे बड़े अच्छे से काम कर रही है ,और आज हम सब इसी कारण से कोरोना के दूसरी लहर से लगभग बाहर आ चुके है , और ऐसे में अम्बा प्रसाद द्वारा खुद की सरकार को अच्छे से काम नही करने देना , यह कितना हद तक सही है ? जिस नियम कानून के तहत बड़कागांव की प्रशासन ने मजदूरों को गिरफ्तार किया है उसे इस आपदा के दौर में झारखण्ड सरकार ने ही लागू किया है ।
इसका मतलब यह साफ है कि आप अपने सरकार के खिलाफ है , या फिर आप भोले भाले मजदूरों को बरगला रही है ,इसे सिर्फ आपके बस एकमात्र राजनीतिक स्टंट माना जा सकता है , क्योकि इस वक्त तो कायदे से आपको आपकी सरकार का समर्थन करना था , और मजदूरों के लिए त्रिवेणी सैनिक से और सरकार से बात कर के मामले को खत्म करना था , इससे मजदूरों का भी हित होता और सरकार द्वारा लागू नियम कानून भी रह जाती।