Joharlive Team
गोंडा। विलुप्त होती जा रही पौराणिक मनवर नदी को नया जीवन देने का काम तेजी से चल रहा है। अपने उद्गम स्थल से 82 किलोमीटर लंबी मनवर नदी जगह जगह पर अतिक्रमण का शिकार हो चुकी थी। लोगों ने मनवर नदी को पाटकर खेत का रूप दे दिया था। कुछ ऐसे स्थान थे जहां पर यह मालूम ही नहीं पड़ता था यहां पर कभी मनवर नदी थी। दो वर्ष पूर्व सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके कायाकल्प की घोषणा की थी। उसके बाद लोगों में आस बंधी थी की अब मनवर नदी को नया जीवन मिलेगा। जनपद में मनवर नदी की सेहत सुधारने का काम शुरू होने से एक तरफ जहां प्रवासी श्रमिकों व स्थानीय श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शुरू कराए गए मनवर नदी के पनुरूद्धार कार्य में प्रतिदिन 1492 श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। जिसमें प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं। मनवर नदी के पनुरूद्धार कार्य में अब तक 5400 मानव दिवसों का सृजन कराया जा चुका है। वहीं नदी क्षेत्र में पड़ने वाले जिले के पांच ब्लाकों इटियााथोक, मुजेहना, पण्डरीकृपाल, मनकापुर तथा छपिया ब्लाक से होते हुए इन ब्लाकों के 46 ग्राम पंचायतों से 82 किलोमीटर लम्बी दूरी तय करने वाली नदी के पुरूद्धार काम हो रहा है। जहां पर लगभग प्रतिदिन 4500 मनरेगा श्रमिक काम कर रहे हैं। नदी का कायाकल्प होने से प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। इसके कार्यों की मानटरिंग के लिए ग्राम पंचायतवार नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है। जिनके द्वारा रोजाना ग्राम पंचायतवार रिपोर्ट दी जा रही है।
इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी शशांक त्रिपाठी ने बताया की मनवर ऐतिहासिक एवं पौराणिक नदी है। मुख्यमंत्री ने दो वर्ष पहले इसके कायाकल्प की घोषणा की थी। 82 किलोमीटर लंबी इस नदी में 46 ग्राम पंचायतें जनपद की आती है। इसमें करीब 4500 श्रमिक काम कर रहे हैं। जिसमें 1100 प्रवासी श्रमिक है। इसमें अलग-अलग ग्राम पंचायतों में काम शुरू है। गुणवत्ता परक कार्य कराने के लिए सिंचाई विभाग व माइक्रो इरिगेशन के अभियंताओं की सहायता ली जा रही है।