रांची : झारखंड में मिड डे मील की 100 करोड़ के घोटाले मामले में आरोपी संजय तिवारी के खिलाफ रांची के अरगोड़ा थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। संजय तिवारी के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए ईडी ने रांची पुलिस को पत्र लिखा था। इसके बाद रांची पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज कर ली। अरगोड़ा थाने की सब इंस्पेक्टर बेबी इस को केस का आईओ बनाया गया है। आरोपी संजय तिवारी द्वारा कई वाहनों में फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर लगाए गए थे। उन्ही नंबरों के जरिए एनएचएआई के फर्जी पहचान पत्र का इस्तेमाल किया जाता था।
ईडी ने छापेमारी कर फर्जी नंबर प्लेट लगे वाहन और एनएचएआई का फर्जी पहचान पत्र जब्त किया था। ईडी को पता चला था कि संजय तिवारी मनी लाउंड्रिंग के लिए फर्जी पहचान पत्र और फर्जी रजिस्ट्रेशन वाली गाड़ियों का इस्तेमाल करता था। साल 2017 में भानू कंस्ट्रक्शन के संचालक संजय तिवारी ने फर्जी तरीके से मिड डे मील ऑथोरिटी के पैसे अपने खाते में जमा करवाये थे। इसके बाद इन पैसों को अन्य कई खातों में ट्रांसफर किया था। इस मामले में सीबीआई ने भी जांच किया था। सीबीआई की चार्जशीट के आधार पर ईडी ने मनी लाउंडिंग की जांच शुरू की थी।
छह साल पहले का मामला
दरअसल, ईडी की जांच में पता चला कि रांची स्थित हटिया के एसबीआई शाखा से झारखंड मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के खाते से भानु कंस्ट्रक्शन को 101.01 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। इसका खुलासा तब हुआ जब 19 सितंबर 2017 को राज्य निकाय ने बैकों को निर्देश दिया कि जिलों में मध्याह्न भोजन की राशि जारी की जाए। जांच में ये बात भी सामने आयी कि 16 अगस्त 2017 को भी भानु कंस्ट्रक्शन के संचालक संजय तिवारी ने अपनी कंपनी में काम करने वाले राजू वर्मा के खाते में 8 करोड़ 27 लाख ट्रांसफर कर लिये हैं। राजू वर्मा ने इन पैसों को अलग-अलग बैंक खातों में डाला। इस पैसे से राजू ने अपने सारे शौक पूरे किये। संजय तिवारी की पत्नी और राजू वर्मा कई कंपनियों में पार्टनर्स भी थे।
इडी ने संजय तिवारी के खिलाफ सबूत इक्कठा एफआईआर दर्ज करने के लिए आग्रह किया था। इडी को पता चला कि आरोपी संजय तिवारी ने मिड डे मील घोटाले से पहले भी कई घोटालों व कांडों को अंजाम दिया है। संजय के पास पांच एसयूवी गाड़ियां हैं। ईडी ने संजय तिवारी को मनी लांड्रिंग मामले में 23 नवंबर 2011 को गिरफ्तार किया था। उसी दौरान उसके घर से ईडी ने उसकी पांच गाड़ियों को जब्त किया था। बड़ी इात तो ये है कि सब गाड़ियों में फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर हैं। ईडी की जांच से पता चला है कि एनएचआई का फर्जी प्रमाण पत्र दिखाकर भी उसने कई जालसाजी की है।