रांची: रिम्स रिसर्च सेल की ओर से शनिवार को मेटा एनालिसिस पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें स्टडी से निकले डेटा को एकत्रित करने को लेकर चर्चा हुई. साथ ही यह भी बताया गया कि रिसर्च से निकले निष्कर्ष के आधार पर गाइडलाइन बनाई जा सकती है. अगर रिसर्च थोड़ा वीक है तो उसपर काम करने की जरूरत है. जिससे कि रिजल्ट बेहतर हो. एक्सपर्ट्स ने बताया कि मेटा एनालिसिस डॉक्टरों व स्वास्थ्य से जुड़े रिसर्च साइंटिस्ट एविडेंस के आधार पर डिसीजन ले सकते है. बीमारी के पहचान और ट्रीटमेंट के लिए गाइडलाइन डेवलप करने में भी मेटा एनालिसिस की जानकारी होनी चाहिए. रिसर्च में शामिल डॉक्टरों ने बताया कि वर्कशॉप का उद्देश्य विशेषज्ञों, डॉक्टरों और रिसर्चर्स के बीच संवाद, सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है.
मेडिकल साइंस के लिए बहुत अच्छा
वर्कशॉप के उद्घाटन पर रिम्स निदेशक प्रो डॉ राज कुमार ने मेटा एनालिसिस के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि “मेडिकल साइंस का काम स्वास्थ्य को बरकरार रखना और उपचार सुनिश्चित करना है जिसे उपलब्ध सर्वोत्तम साक्ष्यों द्वारा प्राप्त ही किया जा सकता है. लेवल एक (सर्वोत्तम साक्ष्य) का साक्ष्य प्राप्त करने के लिए मेटा एनालिसिस किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि “मेटा एनालिसिस मेडिकल साइंस के लिए बहुत अच्छा है. इसकी शुरुआत करने के लिए या तो एक दुर्लभ मामला ढूंढें या एक सामान्य मामले में दुर्लभता ढूंढें. मौके पर डीन प्रो विद्यापति, डीन (परीक्षा), प्रो मनोज कुमार, चिकित्सा अधीक्षक प्रो हीरेन्द्र बिरुआ मौजूद, डॉ अनूपा प्रसाद, डॉ देवेश कुमार व अन्य मौजूद थे.
मेडिकल और डेंटल के प्रतिभागी
इस वर्कशॉप में झारखंड के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों जैसे एम्स पटना, एनएमसीएच सासाराम, बीएचयू वाराणसी, बीएसएससीसीआरआई भुवनेश्वर और कैरियर इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज लखनऊ से कुल 50 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं.