रांची : राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में इलाज कराने के लिए झारखंड के अलावा बिहार, बंगाल और ओड़िशा से भी मरीज आते है. वहीं हॉस्पिटल में सुविधाएं बढ़ाए जाने के बाद मरीजों का विश्वास भी बढ़ा है. यहीं वजह है कि मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. लेकिन इतने बड़े हॉस्पिटल में दवा से लेकर इंजेक्शन आउट आफ स्टॉक हो चुका है. जिसका खामियाजा रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीज भुगत रहे है. इतना ही नहीं सीरिंज और जेल्को भी मरीजों को बाहर से खरीदकर लाना पड़ रहा है. इस चक्कर मरीजों की जेब कट रही है. वहीं परेशानी हो रही है सो अलग.
नार्मल स्लाइन भी खत्म
हॉस्पिटल में इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को नार्मल स्लाइन या डीएनएस चढ़ाया जाता है. लेकिन हॉस्पिटल में इसका स्टॉक भी खत्म हो गया है. स्थिति यह है कि मरीजों डीएनएस और जेल्को भी प्राइवेट मेडिकल से खरीदनी पड़ रही है. इसके अलावा इंजेक्शन व दवाएं काफी मात्रा में मंगाई जा रही है. जिससे कि परिजन परेशान है. ब्लड सैंपल कलेक्ट करने के लिए वायल और जेल्को व ल्यूकोप्लास्ट भी मरीजों से ही मंगाए जा रहे है.
केस वन
हॉस्पिटल में एक बच्चे के परिजन उसे लेकर पहुंचे. वार्ड में नर्स ने उन्हें एक पर्ची थमा दी. जिसमें दवाओं के अलावा 30 सीरिंज भी लाने को लिखा गया. जब अटेंडेंट ने पूछा तो नर्स ने केवल उसे इतना ही कहा कि जो लिखा है वह लेकर आओ. बाकी इसका करना है हम समझ लेंगे.
केस 2
चाइल्ड वार्ड आईसीयू में एडमिट एक बच्चे के लिए नर्स ने दवाएं लाने के लिए कहा. उसमें भी मरीज के परिजन को 30 सीरिंज खरीदकर लाने को कहा गया. परिजन ने पूछा तो उसे कुछ नहीं बताया गया. परिजन ने कहा कि इतने सीरिंज का इस्तेमाल भी नहीं किया गया.
प्रबंधन का दावा, स्टॉक भरपूर
इस मामले में जब हॉस्पिटल के पीआरओ डॉ राजीव रंजन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दवाओं का भरपूर स्टॉक है. हॉस्पिटल में जरूरत की सभी चीजें उपलब्ध है. इसके बाद भी कौन लोग दवा और इंजेक्शन बाहर से मंगवा रहे है जानकारी नहीं है. इसके बारे में प्रबंधन को जानकारी दी जाएगी. जिससे कि पता लगाया जा सके कि कौन ऐसा कर रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब रिम्स के स्टॉक में इंजेक्शन से लेकर दवाएं मौजूद है तो इतनी मात्रा में दवा-सीरिंज जा कहां रहा है.