रांची: झारखंड में पहली बार मेदांता हॉस्पिटल ने बोकारो की रहने वाली 60 साल की महिला का वाल्व इंप्लांट किया. जिसमें ट्रांसकेथेटर आओर्टिक वाल्व इंप्लाटेशन विधि का प्रयोग करते हुए आओरटिक वाल्व स्टेनोसिस का इलाज किया गया. वहीं खराब वाल्व को हटाए बिना एक नया वाल्व लगाकर मिनिमल इनवेसिव प्रोसेस से किया गया. मेदांता रांची के कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ मुकेश अग्रवाल ने कहा कि यह झारखंड में पहला केस, जहां बिना सर्जरी के मरीज के दिल के वाल्व को बदला गया है. उन्होंने बताया कि यह इलाज का एडवांस फॉर्म है, जिसमे ट्रांसकेथेटर आओर्टिक वाल्व इंप्लाटेशन पद्धति का इस्तेमाल किया गया है. मेदांता रांची के डायरेक्टर विश्वजीत कुमार ने कहा कि हमारी कोशिश है कि मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिले. इस मरीज के ऑपरेशन का खर्च 16.50 लाख आया. जो किसी भी मेट्रो सिटी में 24 से 25 लाख रुपए हो सकता है.

31 परसेंट ही काम कर रहा था दिल 

डॉ मुकेश ने बताया कि मरीज उनके पास कुछ समय पहले आई थी. मरीज को रात में सोने में काफी दिक्कत हो रही थी और सांस भी फूलने लगती थी. मरीज की समस्या को सुनने के बाद पहले उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया. चेकअप के दौरान पता चला कि मरीज को सीवियर कैल्सीफिक एमिस यानी यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज के दिल का एक वाल्व सूख जाता है,एल. जिसकी वजह से खून के प्रवाह में दिक्कत आती है. मरीज को इसकी वजह से अक्सर बेहोशी, सांस लेने में दिक्कत और थकावट होती थी. इसके साथ ही उन्हें बाएं वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन भी था यानि उनका दिल 31 परसेंट ही काम कर रहा था. डॉक्टरों ने निर्णय लिया कि उनका इलाज इस तरह से करना होगा के दिल सुरक्षित भी हो जाए और उन्हें कोई तकलीफ भी ना हो. टीम ने 14 नवंबर को ट्रांसकेथेटर आओर्दिक वाल्व इंप्लाटेशन पद्धति के माध्यम से इलाज किया. जिसमें मरीज के नस के माध्यम से वाल्व का इंप्लांट किया गया. मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है.

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