नई दिल्ली : FSSAI ने भारतीय बाजारों से मसालों के नमूनों का परीक्षण करने के बाद दावा किया है कि किसी भी नमूने में कैंसर पैदा करने वाला पदार्थ एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) नहीं पाया गया. इन मसालों में एवरेस्ट और एमडीएच भी शामिल हैं, जिन पर हांगकांग ने यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि इनमें एथिलीन ऑक्साइड होता है, जो कैंसर का कारण बन सकता है.
300 से अधिक लिए गए थे मसालों के नमूने
एफएसएसएआई ने कहा कि उसने देश भर से 300 से अधिक नमूने एकत्र किए लेकिन उनमें से किसी में भी एथिलीन ऑक्साइड नहीं पाया गया. बता दें कि लोकप्रिय मसाला ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट पर सिंगापुर और हांगकांग में सवाल उठने और उनमें कैंसर के लिए जिम्मेदार ईटीओ की मौजूदगी पर सवाल उठने के बाद एफएसएसएआई ने मसालों के नमूने लिए थे, जिसके नतीजे अब सामने आ गए हैं.
विवाद के बाद एफएसएसएआई ने एवरेस्ट मसालों की दो विनिर्माण इकाइयों से 9 नमूने परीक्षण के लिए लिए, जबकि एमडीएच की 11 विनिर्माण इकाइयों से 25 नमूने लिए गए. दोनों कंपनियों की इकाइयों से लिए गए कुल 34 सैंपल में से 28 की रिपोर्ट आ गई है और सभी पूरी तरह से साफ हैं. इतना ही नहीं, अन्य ब्रांड के मसालों के 300 नमूनों में से किसी में भी ईटीओ नहीं पाया गया.
इस मामले में विवाद के बाद 22 अप्रैल को देश के अलग-अलग हिस्सों में ये नमूने लिए गए. खाद्य आयुक्तों को नमूने लेने के निर्देश दिए गए, जिनकी गहनता से जांच की गई. जांच के दौरान सभी भारतीय मसाले ईटीओ मुक्त पाए गए.
क्यों मचा हंगामा?
अप्रैल में हांगकांग और सिंगापुर ने लोकप्रिय मसाला ब्रांडों एमडीएच और एवरेस्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि उनके उत्पादों में कैंसरकारी रसायन ईटीओ की मौजूदगी पाई गई थी. नेपाल ने भी इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था और भारतीय मसालों को खरीदने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब सभी मसाले बेदाग हो गए हैं.
बता दें कि साल 2023-24 में अकेले भारत ने पूरी दुनिया के कुल मसालों का 12 फीसदी निर्यात किया, जिसकी कुल कीमत 4.25 अरब डॉलर थी. हालांकि इस विवाद के बाद मसालों की बिक्री में थोड़ी गिरावट आ सकती है. ऐसे में अब जब जांच के नतीजे आ गए हैं तो एक बार फिर भारतीय मसाले वैश्विक बाजार में छाने वाले हैं.
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