रांची: ऊर्जा विभाग ट्रांसमिशन निगम के एमडी केके वर्मा ने पूर्व सीएम एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा ऊर्जा संचरण निगम के एक टेंडर को लेकर उठाये गये सवाल पर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी पूर्व सीएम रह चुके हैं, यह आरोप लगाने से पहले उन्हें पूरा पीपीए एक बार पढ़ लेना चाहिए, या फिर किसी जानकार से पढ़वा लेना चाहिए. उनसे इतनी हल्की बात की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
श्री वर्मा ने कहा कि आरोप लगाने से पहले बिजली अफसरों से बात कर लेनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि पतरातू के पूरे प्रोजेक्ट की कड़ी मॉनिटरिंग होती है. 2016 में ही नियामक आयोग ने इसे रूल एंड रेगुलेशन के तहत एप्रूव कर दिया था. बिजली दर और टैरिफ की रेट 3.10 रुपये तक फिक्स हो चुकी है. बिना जाने या समझे किसी तरह का आरोप लगा देना पूरी तरह से गलत है.
श्री वर्मा ने कहा कि बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि जेएसइआरसी के अनुमोदन के बिना टेंडर निकला है और यह सरकारी राशि का दुरुपयोग है. अगर भविष्य में बिजली दर निर्धारण के समय यह खर्च न्यासंगत नहीं हुआ, तो जेएसइआरसी टैरिफ निर्धारण पर कोई विचार नहीं करेगा. श्री वर्मा ने कहा कि बहुत अजीब बात है बिना जानकारी लिए यह बातें कही गयीं.
श्री वर्मा ने झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग का 26 फरवरी 2016 का एप्रूवल लेटर जारी किया और कहा कि बाबूलाल को इस पत्र को पढ़ना चाहिए था. आयोग के एप्रूवल लेटर को मंगवा लेना चाहिए था. पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड जेबीवीएनएल की ज्वाइंट वेंचर कंपनी है. एक-एक चीज का काम सेंट्रल स्तर पर कड़ी मॉनिटरिंग के तहत किया जा रहा है. एनटीपीसी राज्य की कंपनी नहीं, बल्कि एक सेंट्रल पावर सेक्टर की कंपनी है.