रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है, और पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है. इसी बीच, जोहर लाइव के संवाददाता ने पश्चिमी सिंहभूम के अंतर्गत मझगांव विधानसभा का दौरा किया, जहां उन्होंने स्थानीय विकास और रोजगार की समस्याओं से अवगत हुए. मझगांव विधानसभा में सबसे बड़ी समस्या कृषि से जुड़ी है. यहां के लोग खेती-किसानी कर अपनी जीविका चलाते हैं, लेकिन उनके खेतों तक पानी पहुंचाने की चिंता किसी भी जनप्रतिनिधि ने नहीं की है, जिससे किसान सरकार से नाराज हैं. दूसरी बड़ी समस्या युवाओं के रोजगार की है; हर साल लाखों युवा रोजगार की तलाश में चेन्नई, गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हैं. मझगांव विधानसभा में कोई खदान नहीं है और जो पहले थीं, वे भी बंद पड़ी हैं. यदि ये खदानें खुलती हैं, तो स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं.
देवेंद्र नाथ ने इस सीट से चार बार जीत दर्ज की थी
देवेंद्रनाथ ने इस सीट से चार बार जीत दर्ज की थी. वह 1980 से 1995 तक इस सीट के विधायक रहे और पहली बार निर्दलीय चुने गए. इसके बाद वह तीन बार कांग्रेस पार्टी से विधायक बने. 2000 में भाजपा के टिकट पर बड़ कुंवर गगरई ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की.
2005 में पहली बार झामुमो के निरल पूर्ति जीते
मझगांव विधानसभा में झामुमो के प्रत्याशी ईसाई समुदाय से हैं और 2005 में पहली बार यह सीट जीतकर झामुमो की झोली में डाली. इसके बाद 2009 में फिर बड़ कुंवर ने जीत दर्ज की, और 2014 एवं 2019 में निरल पूर्ति ने झामुमो की टिकट पर विधानसभा पहुंचने में सफलता पाई. इस बार भाजपा ने फिर से बड़ कुंवर पर विश्वास व्यक्त किया है, जबकि झामुमो ने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. 2024 का विधानसभा चुनाव इस मायने में दिलचस्प होगा, क्योंकि एक तरफ इंडिया गठबंधन की सरकार का 5 साल का कार्यकाल है, वहीं दूसरी ओर एनडीए गठबंधन द्वारा राज्य में घुसपैठियों का मुद्दा भी महत्वपूर्ण होगा.
स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति भी खराब
मझगांव विधानसभा में स्वास्थ्य और शिक्षा का हाल भी बहुत खराब है. कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, और समुचित चिकित्सा व्यवस्था न होने के कारण लोग इलाज के लिए दूसरे शहरों की ओर रुख करते हैं.