रांची: भाकपा माओवादियों के स्पेशल एरिया कमेटी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर 27 जनवरी को बिहार झारखंड बंद करने और प्रतिरोध दिवस मनाने का एलान किया है. प्रेस विज्ञप्ति के जरिए माओवादियों ने मांग की है कि उनके वृद्ध नेता ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो कमेटी के सचिव एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी को जल्द बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाय.
साथ ही प्रशांत बोस और शीला मरांडी को राजनीतिक बंदी का दर्जा देकर दोनों को बिना शर्त रिहा किया जाए. माओवादियों ने मांग की है कि प्रशांत बोस और शीला मरांडी कई तरह की बीमारियों से जुझ रहे हैं. बीमारी के बावजूद उन्हें यातना दी जा रही है. राजनीतिक बंदियों को मिलने वाले अधिकार दोनों को देने की मांग माओवादियों ने रखी है.
12 नवंबर 2021 को ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सचिव और एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उनकी पत्नी शीला मरांडी उर्फ शीला दी, बिरेन्द्र हांसदा उर्फ जितेन्द्र, राजू टुडू उर्फ निखिल उर्फ बाजु, कृष्णा बाहदा उर्फ हेवेन और गुरूचरण बोदरा को गिरफ्तार किया था. देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस व शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी न पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था न ही मारा ही गया था.
साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर थे. साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी. इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था. छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों का प्रोटेक्शन दस्ता की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था. जिसका प्रभार करमचंद उर्फ लंबू को दिया गया था. तबीयत खराब होने की वजह से जंगल में मूवमेंट के लिए प्रशांत बोस के लिए पालकी बनायी गई थी.