किसलय शानू
रांची : झारखंड से निकलने वाले काले हीरे(कोयला) के अवैध कारोबार में झारखंड-बिहार के कई दिग्गजों की भूमिका संदिग्ध हैं. इस अवैध कारोबार में सफेद पोश से लेकर कई राज्यों के बड़े-बड़े कारोबारी भी जुड़े हुए हैं. यह पूरा खेल रात के अंधेरे में शुरु होता है और सुबह होने से पहले ही खत्म. इसका खुलासा कुछ दिन पूर्व गिरिडीह पुलिस ने उस समय किया, जब नौ ट्रक अवैध कोयला को देर रात पकड़ा गया. गिरिडीह पुलिस की इस कार्रवाई के बाद से झारखंड-बिहार के कोयला कारोबारियों में हड़कंप मच गया.
कोयला के अवैध कारोबार में हर दिन बदलता है “कोड”
सूत्र बतातें है कि धनबाद से हर दिन अवैध कोयले की सैकड़ों कोयला लोड गाड़ियां जी.टी. रोड होते हुए बिहार और उत्तर प्रदेश में खपाया जा रहा हैं. इतने बड़े पैमाने पर अवैध कोयला के खेल में कोडिंग का खेल चलता हैं. यह कोडिंग ट्रक के नंबर पर हर दिन बदलता हैं. धनबाद से निकलने वाली गाड़ियों में एक गाड़ी नंबर(ट्रक संख्या) का कोडिंग किया जाता हैं. उसके पीछे अवैध कोयला लोड़ सभी गाड़ियां प्रतिक्षा में रहती हैं. संवेदनशील इलाकों में कोडिंग गाड़ी के प्रवेश होते ही प्रतिक्षारत सभी गाड़ियों को कॉल का इंतजार रहता हैं. कोडिंग गाड़ी(ट्रक) के चालक द्वारा कॉल कर सिंग्नल सभी को भेजा जाता हैं. जिसके बाद सभी गाड़ियां एक साथ संवेदनशील इलाकों से गुजरते हुए अपने गंतव्य स्थान की ओर प्रस्थान करते हैं.
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राज्य सरकार को हर दिन करोड़ों के राजस्व का नुकसान
राज्य के एक बड़े इलाके से अवैध कोयले के इतने बड़े पैमाने पर खेल चल रहा है, इसके बावजूद कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही हैं. अवैध कोयले के कारोबार से राज्य सरकार को हर दिन करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा हैं. लेकिन, कोई देखने वाला तक नहीं हैं. आखिरकार किसका संरक्षण प्राप्त है अवैध कोयला के कारोबार करने वाले लोगों को. क्या झारखंड पुलिस के आलाधिकारी की संलिप्तता इसमें तो नहीं.
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