रांची: भाजपा के वरिष्ठ नेता, स्वैच्छिक सेवा निवृत आईपीएस अधिकारी डॉ अरुण उरांव ने आज राज्य सरकार पर बड़ा निशाना साधा. डॉ उरांव आज प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राज्य के कई वरीय पदाधिकारी आज भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. ईडी ने पर्याप्त प्रमाण एवम सबूतों के साथ सरकार को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि झारखंड को हमारे पुरखों ने खून पसीना से सींचा है. यह राज्य पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेई की देन है लेकिन आज जिस प्रकार से वर्तमान राज्य सरकार ने इसे भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा दिया है उससे चिंता होती है.
संवारने वाले लूटने में लगे
उन्होंने कहा कि जिन पदाधिकारियों की जिम्मेवारी राज्य को सजाने और संवारने की थी वे आज लूट भ्रष्टाचार में शामिल हो चुके हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है. इन बातों से दुखी होकर मैंने राज्य के सबसे बड़े पदाधिकारी मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. ब्यूरोक्रेसी राज्य की स्टील फ्रेम होती है लेकिन आज उसमे ही जंग लग गया है. राज्य को दीमक की तरह ये ब्यूरोक्रेसी खाने में जुटी है. राज्य के कई ऐसे शीर्ष पदाधिकारियों के नाम अखबारों में आए भी हैं. उन्होंने कहा कि करेक्ट एंड स्टिक की पॉलिसी अपनाई जानी चाहिए. ईमानदार हैं,काम करते हैं उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और जो भ्रष्ट हैं उन्हे उचित दंड भी मिलना चाहिए लेकिन यहां ऐसा नही हो रहा.
सरकार चुप्पी साधे बैठी
उन्होंने कहा कि आरोपी अधिकारियों के खिलाफ ईडी ने परिश्रम कर के साक्ष्य इकट्ठे किए और राज्य सरकार को शेयर किया है जैसा कि अपराध नियंत्रण की धारा 6(2) ऐसा निर्देश ईडी को प्राप्त है. जिस पर शीघ्र कार्रवाई की जिम्मेवारी सरकार की बनती है. बावजूद इसके सरकार चुप्पी साधे बैठी है. उन्होंने कहा कि इससे राज्य का बड़ा नुकसान हो रहा साथ ही भ्रष्ट अधिकारियों और उनके मातहत लोगो का मन भी बढ़ रहा.
ये भी कहा
- ईमानदार और विकास चाहने वाले अधिकारी हाशिए पर
- राज्य सरकार को अलग अलग विभागों में प्रभावी पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करनी चाहिए
- अच्छे पदाधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए
- राज्य सरकार उसे तरजीह दे रही जो पैसा इकट्ठा करने और ऊपर तक पहुंचाने में माहिर
- ब्यूरोक्रेसी ऐसा घोड़ा है जो अपने सवार को तुरंत पहचान लेता है
- राज्य सरकार ने कुछ घोड़ों को चरने की छूट दे रखी है. जितना चर सकते हो चरो और ऊपर तक पहुंचाओ
- उच्चतम न्यायालय के निर्णय में यह निर्देश प्राप्त है कि अपराध संज्ञान में आते ही मुकदमा दर्ज होने की पहली कारवाई तुरंत होनी और जांच कर चार्जशीट. अगर आरोप झूठा निकले तो कैसे खत्म करें.