जामताड़ा: हूल दिवस के अवसर पर सिद्धू कान्हू मुर्मू सेवा समिति के तत्वावधान में जामताड़ा गांधी मैदान के समीप कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम सिद्धू कान्हू मुर्मू सेवा समिति के अध्यक्ष आनंद टुडू की अध्यक्षता में आयोजित किया गया. इस दौरान अधिकारियों समेत कई जनप्रतिनिधि ने सिद्धू कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी शहादत को याद किया. उसके बाद एक समारोह का आयोजन किया गया. मौके पर डीसी एसपी समेत अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि वीर शहीदों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

वहीं सिद्धू कान्हू मुर्मू सेवा समिति के अध्यक्ष आनंद टुडू ने कहा कि जिस दिन झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था, उस दिन को हुल क्रांति नाम दिया गया है और हुल क्रांति दिवस इसी का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में 20 हजार से ज्यादा आदिवासियों ने अपनी जान दी थी. आजादी की पहली लड़ाई 1857 की मानी जाती है, लेकिन झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल 1855 में ही फूंक दिया था. 30 जून 1855 को सिद्धू कान्हू के नेतृत्व में संथाल आदिवासी पहली बार साहिबगंज जिले के भोगनादी गांव में अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ एकजुट हुए थे.

सिद्धू कान्हू, चांद और भैरव इन चार भाइयों के नेतृत्व में संथाल विद्रोह यानी हुल क्रांति की नींव रखी गई थी. कार्यक्रम में डीसी कुमुद सहाय, एसपी अनिमेष नैथानी, डीडीसी निरंजन, एसडीओ अनंत कुमार, एसडीपीओ विकास आनंद लांगुरी, सीओ अबिशुर मुर्मू, मांझी परगना सरदार महासभा के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार हांसदा, झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिला कोषाध्यक्ष सह प्रवक्ता अशोक मंडल, अल्पसंख्यक जिला अध्यक्ष डॉ अब्दुल मन्नान अंसारी, कांग्रेस जिला अध्यक्ष दीपिका बेसरा, शिक्षक संघ के सुनील कुमार बास्की, सुधीर सोरेन, झामुमो नेत्री अमिता टुडू, साकेश सिंह, नंदलाल सोरेन, मनोरथ मरांडी, दुलाल राय, अनिल सोरेन, चुनुलाल सोरेन, जेबीकेएस के मंतोष महतो, शहीद पेंशनर समाज, समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी समेत कई जनप्रतिनिधि शामिल हुए.

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