रांची : भाजपा एसटी मोर्चा के जिला अध्यक्ष जीतराम मुंडा की हत्या मनोज मुंडा के इशारे पर हुई है। प्रारंभिक छानबीन में पुलिस को इससे संबंधित अहम सुराग हाथ लगे हैं। केस की छानबीन कर रहे पुलिस अधिकारी के अनुसार मनोज मुंडा का पीएलएफआइ नक्सली संगठन से रिश्ता रहा है। हत्या के लिए उसने पीएलएफआइ संगठन से मदद मांगी। इसके बाद नक्सली संगठन ने हत्या के लिए शूटर भेजे। छानबीन में यह बात सामने आई है कि दो आदमी पहले से जीतराम मुंडा की रेकी कर रहे थे।
जैसे ही जीतराम मुंडा ओरमांझी स्थित होटल पहुंचा, रेकी करने वालों ने इसकी जानकारी मनोज मुंडा को दी। इसके बाद मनोज मुंडा चार चक्का वाहन से, जबकि शूटर बाइक से होटल के पास पहुंचा। मनोज मुंडा वाहन में ही बैठा रहा, जबकि शूटर डिवाइडर क्राॅस कर होटल के अंदर गया और आराम से जीतराम मुंडा की हत्या कर फरार हो गया। पुलिस ने इस मामले में दो संदिग्ध को हिरासत में लिया है। वहीं, मनोज मुंडा की गिरफ्तारी के लिए तकनीकी सेल की टीम काम कर रही है।
बता दें कि 22 सितंबर की शाम ओरमांझी स्थित एक होटल में बैठकर चाय पी रहे भाजपा नेता जीतराम मुंडा की अज्ञात अपराधियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। गोली उनके सिर में मारी गई, जो कि सिर से पार कर पास में ही बैठे होटल संचालक राजकिशोर साहू के हाथ में जा लगी। मृतक की पत्नी ने मनोज मुंडा एवं दो अज्ञात के खिलाफ ओरमांझी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
मनोज मुंडा की पत्नी से जीतराम का था परिचय, अक्सर होती थी मुलाकात
जानकारी के अनुसार जीतराम मुंडा और मनोज मुंडा की पत्नी का पुराना परिचय था। दोनों की शादी भी तय हुई थी, लेकिन किसी कारण से शादी हो नहीं पाई। बाद में उसकी मनोज मुंडा से शादी हो गई। मनोज मुंडा से शादी होने के बाद भी जीतराम मुंडा का उस औरत से संबंध बरकरार रहा। मनोज मुंडा को जब इसकी जानकारी हुई तो उसने जीतराम मुंडा को चेताया। हालांकि, इसके बाद भी जीतराम का मनोज मुंडा की पत्नी से बातचीत जारी रहा। इस बात को लेकर दोनों में कई बार तनातनी भी हुई।
वहीं, 23 दिसंबर 2014 को करंट लगने से मनोज मुंडा की पत्नी की मौत हो गई। हत्या का आरोप मनोज मुंडा पर लगा। इस मामले में मनोज मुंडा को सात साल की सजा हुई। मनोज मुंडा का मानना था कि जीतराम मुंडा ने ही उसकी गिरफ्तारी कराई। पूरे घटनाक्रम से खिन्न मनोज मुंडा जीतराम मुंडा की जान का दुश्मन बन गया। जेल में ही उसने जीत राम की हत्या करने की ठानी। वह जैसे ही जेल से बाहर निकला, उसपर वार किया, लेकिन उस दौरान फायर नहीं हो पाने के कारण जीतराम मुंडा की जान बच गई। हत्या के प्रयास के मामले में फिर मनोज मुंडा को जेल जाना पड़ा। इसके बाद जब से मनोज मुंडा जेल से बाहर निकला था, वह मौके की तलाश में था।
राजकिशोर साहू संदेह के घेरे में, मोबाइल का सीडीआर खंगाल रही पुलिस
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि गोली लगने से घायल होटल संचालक राजकिशोर साहू की भूमिका की भी जांच की जा रही है। आसपास के लोगों ने उसकी भूमिका पर सवाल उठाए हैं। ऐसे में पुलिस जीतराम मुंडा एवं राजकिशोर साहू के मोबाइल के सीडीआर की छानबीन कर रही है।