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चंडीगढ़ : आखिरकार हरियाणा में दिवाली पर नई सरकार बन ही गई। त्योहार के दिन ही मनोहर लाल खट्टर ने प्रदेश के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ जननायक जनता पार्टी (जजपा) सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला ने बतौर उप मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण की क्योंकि इस बार भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार बनी है।
ऐसे बनी सरकार- भाजपा विधायक- 40, जजपा विधायक- 10, निर्दलीय – 07, कुल- 57
भाजपा को समर्थन देने वाले निर्दलीय- बलराज कुंडू (महम), रणजीत चौटाला (रानियां), धर्मपाल गोंदर (नीलोखेड़ी), सोमवीर सांगवान (दादरी), रणधीर गोलन (पुंडरी), नयन पाल रावत (पृथला), राकेश दौलताबाद (बादशाहपुर)
शपथ ग्रहण समारोह चंडीगढ़ स्थित राज भवन में आयोजित किया गया। यह एक सादा समारोह रहा, जिसमें राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह में दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला, मां नैना चौटाला और भाई दिग्विजय चौटाला मौजूद रहे।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और बेटे अकाली दल सुप्रीमो सुखबीर बादल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, हरियाणा भाजपा प्रभारी अनिल जैन, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और सांसद रतन लाल कटारिया समारोह में पहुंचे।
इनके अलावा भाजपा के कई दिग्गज नेता, सांसद, नए बने विधायक और निर्दलीय विधायक मौजूद रहे। समारोह में पंजाब के गवर्नर व यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनौर भी नजर आए।
मनोहर लाल हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री हैं और पंजाबी परिवार से हैं। वे हरियाणा के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो गैर जाट समुदाय से आते हैं। वे लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान होने वाले पहले गैर जाट नेता भी हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रह चुके हैं। हरियाणा की 13वीं विधानसभा में दूसरी बार करनाल का प्रतिनिधित्व करेंगे। 2014 में भी वे मुख्यमंत्री बने थे और पूरे पांच साल सरकार चलाई।
मनोहर लाल का जन्म 5 मई, 1954 में रोहतक के निदाना गांव में हुआ। मनोहर लाल के पिता का नाम हरबंस लाल था। वे 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त परिवार को लेकर रोहतक आ गए थे। परिवार की आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण उनके पिता और दादा को मजदूरी तक करनी पड़ी। जैसे-तैसे करके पैसे इकट्ठे किए गए और जमीन खरीदकर खेतीबाड़ी शुरू की। मनोहर लाल खुद साइकिल पर सब्जियां बेचने के लिए जाया करते थे।
मनोहर लाल ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पंडित नेकी राम शर्मा गवर्नमेंट कॉलेज से की। उनके पिता उन्हें आगे पढ़ने देना नहीं चाहते थे। लेकिन मनोहर आगे पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहते थे। हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे घरवालों से पैसे उधार लेकर दिल्ली चले आए और दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर मेडिकल की तैयारी करने लगे। मनोहर लाल ने तीन बार प्री मेडिकल दिया, पर क्लियर नहीं हो सकता।
मनोहर लाल 24 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़ गए थे। 1979 इलाहाबाद में हुए विश्व हिंदू परिषद के समागम में पहुंचे और कई संतों और संघ के प्रचारकों से मिले। 1980 में उन्होंने ताउम्र आरएसएस से जुड़ने और शादी न करने का फैसला लिया। उनके इस फैसले का घरवालों ने काफी विरोध किया, पर वे नहीं माने। लगातार 14 साल गुजरात, हिमांचल, जम्मू कश्मीर जैसे 12 राज्यों में काम करने के बाद उन्हें 1994 में संघ की तरफ से एक्टिव राजनीति में आने का मौका मिला।
1995 में बीजेपी ने उन्हें हरियाणा का संगठन मंत्री बनाया। 1996 में उन्होंने बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के साथ गठबंधन करके बीजेपी को सत्ता में हिस्सेदारी दिलाई। फिर जब देखा कि बंसीलाल सरकार की ठीक नहीं जा रही तो आलाकमान को सपोर्ट वापसी के लिए राजी किया। 2014 के विधानसभा चुनाव में करनाल सीट से उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड तोड़ मतों से जीत दर्ज करके 26 अक्टूबर 2014 हरियाणा के सीएम बने।
जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला, ताऊ देवी लाल के परिवार से हैं। वे पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पोते और ताऊ देवी लाल के पड़पोते हैं। दुष्यंत उचाना कलां से पहली बार विधायक बनकर उपमुख्यमंत्री बने हैं। दुष्यंत का यह दूसरा विधानसभा चुनाव था, लेकिन जीते पहली बार।
26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बनने वाले कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से बिजनेस ग्रेजुएट हैं और वे नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से भी पढ़े हैं। चाचा अभय चौटाला से रार के बाद 10 महीने पहले ही उन्होंने जजपा का गठन किया, जो 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतकर किंगमेकर बनकर उभरी है।
2014 में दुष्यंत इनेलो की टिकट पर उचाना कलां से हार गए थे। उन्हें चौधरी बीरेंद्र की पत्नी प्रेमलता ने हराया था। इस बार जजपा के बैनर तले दुष्यंत उचाना से ही जीते और उन्होंने प्रेमलता को ही हराया है। वहीं भाजपा की गठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री पद पाकर दुष्यंत ने उचाना की चौधर भी कायम कर दी है।
उनके दादा ओमप्रकाश चौटाला भी उचाना कलां से चुनाव लड़ते रहे हैं और जब चौधरी बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में सीएम बनने की दौड़ में थे तो उन्हें बड़े चौटाला ने ही हराया था। इसके बाद बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में बड़े नेता तो रहे पर मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं हो पाए।
अब दुष्यंत ने उपमुख्यमंत्री बनकर फिर बीरेंद्र परिवार को राजनीतिक झटका दिया है। दुष्यंत परदादा ताऊ देवी लाल की नीतियों पर ही आगे बढ़ रहे हैं। ताऊ हरियाणा के मुख्यमंत्री रहने के साथ ही 1989 से 1991 तक उपप्रधानमंत्री रह चुके हैं। उस समय जनता दल की सरकार बनी थी।