मणिपुर : मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि मणिपुर में 1961 के बाद बसने वाले लोग डिपोर्ट किए जाएंगे. ‘प्रोजेक्ट बुनियाद’ के लॉन्च पर बोलते हुए सीएम ने कहा कि जो लोग 1961 के बाद राज्य में आए और बस गए, चाहे वे किसी भी जाति और समुदाय के हों, उनकी पहचान की जाएगी और उन्हें निर्वासित किया जाएगा.

इसपर विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध अप्रवासियों की पहचान स्वागत योग्य कदम है. लेकिन उनका निर्वासन तब तक मुश्किल है, जब तक कि संबंधित देश उन्हें अपने नागरिक के रूप में मान्यता नहीं देता.

बता दें कि मणिपुर पिछले साल से जातीय हिंसा झेल रहा है, जिसके बाद यहां की राज्य सरकार ने पड़ोसी देश म्यांमार से आए अप्रवासियों के एक वर्ग पर अशांति फैलाने का आरोप लगाया है. इससे निपटने के लिए यह कदम उठाया गया है.

गौरतलब है कि केंद्र ने भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. इंफाल घाटी में स्थित कई संगठनों की संयुक्त संस्था, समन्वय समिति (COCOMI) के मुताबिक मुख्यमंत्री के बयान से पता चलता है कि सरकार ने राज्य में बसने वाले अवैध प्रवासियों के मुद्दे को स्वीकार किया है. यही आज के संघर्ष का मूल है.

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