रांचीः मांडर विधानसभा उपचुनाव में कुल 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. उपचुनाव को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. इस चुनाव में महंगाई, पानी, बिजली, सड़क, बेरोजगारी समेत कई मुद्दे हैं. मांडर विधानसभा में 3.54 लाख मतदाता हैं. इनमें लगभग 1.75 लाख सरना (आदिवासी) मतदाता, 74,000 हिंदू, 70,000 मुस्लिम और 30,000 ईसाई मतदाता हैं.
मांडर विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रशासनिक तैयारी की गई है. इसके लिए 433 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिसमें 4 सहायक मतदान केंद्र होंगे.
विधानसभा उपचुनाव में वोटिंग कराने वाले कुल मतदान कर्मियों की संख्या 2164 हैं जिसमें वीडियो सर्विलांस टीम 5, स्टैटिक सर्विलांस टीम 14, सुरक्षा के लिहाज से 14 चेक नाका बनाए गए हैं. वहीं अति संवेदनशील केंद्रों की संख्या 145 जबकि संवेदनशील केंद्र 216 है.
35 आदर्श मतदान केंद्र बनाए गए हैं जबकि 38 पर्दानशीन बूथ है. मांडर उपचुनाव में दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 5081 है जबकि 80+ मतदाताओं की संख्या 7998 है.
पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की आय से अधिक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता चली गयी. जिस वजह से मांडर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हो रहा है. मांडर विधानसभा सीट का रोचक इतिहास रहा है.
वर्ष 2000 के बाद पहली बार कांग्रेस जीत की रेस में दिख रही है. भाजपा के प्रत्याशी गंगोत्री कुजूर मोदी सरकार के काम और राष्ट्रवाद के सहारे जीत की उम्मीद लगाएं बैठीं हैं.
निर्दलीय लेकिन ओवैसी के समर्थन मिलने के बाद देव कुमार धान भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में लगे हैं.झारखंड बनने के बाद से अब तक के चुनावी नतीजे यह बताते हैं कि यहां पर मुख्य रूप से व्यक्ति आधारित राजनीति हावी रही है.
लेकिन इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने अपने वोट बैंक बढ़ाया है बल्कि 2014 के विधानसभा चुनाव में जीत भी हासिल की है. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा, सीपीआई माले, आजसू, जदयू, राजद जैसे दलों का जनाधार क्षेत्र में काफी कम है.
कांग्रेस का जनाधार भी वर्ष 2000 के बाद से लेकर 2019 विधानसभा चुनाव तक कम हुआ है. लेकिन इस बार निवर्तमान विधायक बंधु तिर्की की बेटी शिल्पा नेहा तिर्की के कांग्रेस उम्मीदवार बनाए जाने के बाद महागठबंधन के साथ कांग्रेस भी मजबूती से मैदान में हैं.