इंफाल : हिंसा प्रभावित मणिपुर की जमीनी हकीकत जानने के लिए विपक्षी दलों के सांसद राज्य के दौरे पर हैं। उन्होंने पहले दिन कई इलाकों का दौरा किया और राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों का दर्द सुना। विपक्षी गुट के सांसदों ने कहा कि हमने कई इलाकों का दौरा किया। यह हम सभी के लिए कठिन दिन रहा है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि हम चार राहत शिविरों में गए और लोगों का दर्द सुना। महिलाएं यह बताते हुए रो पड़ीं कि कैसे उन पर हमला किया गया। गोगोई ने कहा कि हम लोग नई दिल्ली लौटेंगे और संसद में इस दौरे में सामने आई डरावनी कहानियों को उठाएंगे।
JMM सांसद महुआ माजी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि मणिपुर में शांति लौट आई है, लेकिन शांति कहां है? राज्य अभी भी जल रहा है। TMC सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि पूरा विपक्ष मणिपुर के साथ है। जबकि DMK सांसद कनिमोझी ने कहा कि लोग सरकार द्वारा अपमानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया यहां के लोगों को लगता है कि सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया और हिंसा जारी रही तो उन्हें सीएम एन बीरेन सिंह पर कोई भरोसा नहीं है।
INDIA का प्रतिनिधिमंडल उन पीड़ित महिलाओं के परिवार से भी मिला, जिन्हें 4 मई को भीड़ ने निर्वस्त्र कर दौड़ाया और पीटा था। पीड़ित महिलाओं में से एक की मां ने डेलिगेशन से गुजारिश की कि वे उसके पति और बेटे का शव दिलवाने में उनकी मदद करें, जिनकी भीड़ ने हत्या कर दी थी। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव और डीएमके सांसद कनिमोझी ने पीड़ितों में से एक की मां से मुलाकात की, तो उन्होंने गुजारिश की कि उन्हें कम से कम अपने बेटे और पति के शव तो देखने दें। उन्होंने दोनों नेताओं को यह भी बताया कि स्थिति ऐसी है कि कुकी और मैतेई समुदाय अब एकसाथ नहीं रह सकते।
3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला। ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई। इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी। बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया। ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी। मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है। मणिपुर हिंसा में अब तक 150 लोग मारे जा चुके हैं।
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