- इस साल महाशिवरात्रि 21 फ़रवरी शुक्रवार को मनाया जायेगा
इस वर्ष की शिवरात्रि में 59 साल के बाद एक विशेष योग बन रहा है। जिसमे चंद्र और शनि की मकर राशि में उक्ति हो रही है। चंद्रमा मन और शनि ऊर्जा का कारक है। जिससे यह योग साधना और सिद्धि के लिए विशेष ही महत्वपूर्ण है। शिवरात्रि में सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। साथ ही 117 सालों के बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ महायोग भी बन रहा है। जिसे इसमे यह योग होने से शिव आराधना से शनि गुरु और शुक्र मज़बूत होंगे। आज यदि कोई कार्य किया जाय तो यह दुर्लभ हो जायेगा।
शिवरात्री त्रयोदशी उक्त चतुर्दशी को मनायी जाती है।
भोले जितने भोले हैं उससे कही ज्यादा दयालु भी हैं। भगवान भोलेनाथ बहुत ही जल्दी अपने भक्तों से खुश हो जाते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। भगवान शिव के भक्तों के लिए शिवरात्रि व्रत विशेष महत्व रखता है। यह पवन व्रत कृष्णपक्ष त्रयोदशी चर्तुदशी को मनाया जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। इस दिन व्रत करने एवं रात्रि जागरण करने से अस्वमेध यज्ञ करने का फल मिलता है।
आज स्थायीजययोग संध्या 5 बजकर 12 मिनेट से पूरे रात्रि तक है।
उत्तरांखाड़ नक्षत्र और वारियाँन योग के बीच में मानेगा महाशिवरात्रि।
21 फरवरी को संध्या 5: 12 तक त्रयोदसी और उसके बाद चतुर्दशी है।
बुधादित्य योग में मानेगा महाशिवरात्रि।
प्रदोषनिशिथव्याप्ति संध्या संध्या 5 :41 से है। जो पूजा का सवोत्तम समय है।
आज सुबह से साम 5: 41 तक भद्रा है। पूजा का सही समय भद्रा सांध्य के बाद है।
चार पहर की पूजा मुहूर्त-:
प्रथम पहर पूजा का समय संध्या 06 : 15 बजे से रात्रि 09: 25 बजे तक द्वतीय पहर पूजा का समय रात्रि 09: 25 से 12: 34 बजे तक
तृतीय पहर पूजा का समय रात्रि 12:34 से 03: 44 बजे तक
चतुर्थ पहर पूजा का समय रात्रि 03 :44 से प्रातः 06: 54
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा राँची 9031249105