रिपोर्ट : मनोज शर्मा
बोकारो : जिले के गोमिया प्रखंड के ललपनिया स्थित प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण लुगु बुरु घंटा बाड़ी धोरोमगढ़ का धार्मिक स्थल सदियों से संथाल आदिवासियों की आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित रहा है. यहां की प्राकृतिक छटा एवं हरियाली देखते ही बनती है. चारों तरफ हरियाली ही हरियाली देखकर ऐसा लगता है कि जैसे प्रकृति ने इसे अपने गोद में उठा रखा है. पहाड़ की ऊंची चोटी से गिरता हुआ छरछरिया झरना (जलप्रपात) शैलानियों को काफी लुभाती है. साल के शुरूआती दिनों में इस छरछरिया झरने के किनारे पिकनिक मनाने वाले लोगों का जमावड़ा लगा रहता है.
देखरेख के लिए बनाई गई है समिति
लुगु बुरु घन्टा बाड़ी धोरोमगढ़ के पवित्र स्थल के देखरेख एवं सफल संचालन के लिए एक समिति भी बनाई गई है. इस पवित्र स्थल के बारे में समिति के अध्यक्ष सह ललपनिया के निवर्तमान मुखिया बबुली सोरेन ने बताया कि यह स्थल, संथाल आदिवासियों के गौरवशाली अतीत, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है. इस पवित्र स्थल पर आकर देश एवं विदेशों में रह रहे संथाली लुगु बाबा की पूजा अपने आराध्य देवता धर्म गुरु के रूप में करते हैं. यहां पहाड़ की तलहटी पर ऐतिहासिक लुगु बुरु घंटा बाड़ी धोरोमगढ़ का दरबारी चट्टान अवस्थित है. बताया जाता है कि सदियों पूर्व इसी दरबारी चट्टान पर बैठकर संथालियों के पूर्वजों ने लुगु बाबा की अध्यक्षता में लगातार 12 वर्षों तक विचार-विमर्श कर संथाल समाज के सामाजिक प्रथा, रीति रिवाज (जन्म से मरण तक ) की रचना की थी, एवं संथालियों के लिए संविधान बनाई थी, जो आज भी कायम है.
कार्तिक पूर्णिमा पर अंतरराष्ट्रीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन
इस आस्था के केंद्र में प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन होता है. इस मेले को झारखंड राज्य का राजकीय महोत्सव होने का गौरव प्राप्त है. इसमें सामाजिक उत्थान,भाषा, साहित्य, संस्कृति, धार्मिक एवं शिक्षा के विकास हेतु चर्चा की जाती है. इस महासम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए देश-विदेश से लाखों की तादाद में संथाल श्रद्धालु आते हैं, और लुगु बाबा का दर्शन कर मन्नत मांगते हैं. बताया जाता है कि यहां पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक ऐतिहासिक गुफा भी अवस्थित है. इस गुफा के अंदर लुगु बाबा विराजमान है. यहां तक पहुंचने के लिए दरबारी चट्टान से सात किलोमीटर का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता है. प्रत्येक अमावस्या एवं पूर्णिमा सहित अन्य अवसरों पर सालों भर श्रद्धालुओं का इस पवित्र स्थल पर आवागमन लगा रहता है.
धर्म महासभा को लेकर जिला प्रशासन हर वर्ष जोर-जोर से तैयारी में लगा रहता है. इस धर्म महासम्मेलन को दो दिवसीय राजकीय महोत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसमें देश एवं विदेश से कई आदिवासी समाज के धर्म आलू यहां पहुंचते हैं उसी की तैयारी को लेकर समिति के सदस्यों के साथ पूजा स्थल का जायजा लिया गया. पहाड़ पर जो श्रद्धालु पहुंचते हैं वहां भी पहुंचकर व्यवस्था को देखें और मीटिंग इस राजकीय महोत्सव मेला को बेहतर तरीके से कर पाए इसको लेकर तैयारी पूरी है.
वहीं दूसरी तरफ लालपनिया के लुगु पहाड़ क्षेत्र में सरकार द्वारा हाइडिल पावर प्रोजेक्ट चालू करने को लेकर सर्वे कराया जा रहा था जिसका विरोध इन सरना धर्मावलंबियों के द्वारा किया जा रहा है. इनका मानना है कि लुगु पहाड़ पर इस हाइडल प्रोजेक्ट के बनने से हमारे आस्था पर चोट पहुंचेगी, इसलिए हम इसे किसी कीमत पर यहां नहीं बनने देंगे. इस आइडियल प्रोजेक्ट के बनने से भी यहां के आदिवासी मूलवासी को इसका लाभ नहीं पहुंचेगा और हमारे लुगु पहाड़ से छेड़छाड़ भी होगा जिसे हम लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे.
यहां संथालियों का अंतरराष्ट्रीय सरना महा धर्म सम्मेलन औपचारिक रूप से वर्ष 2001 से शुरू किया गया था जो आज भी निरंतर होते आ रहा है. इस धर्म सम्मेलन में प्रदेश के लगभग सभी मुख्यमंत्री ने पहुंचकर सरना धर्मावलंबियों के साथ इस मेला के आयोजन एवं सामाजिक ताना-बाना को एक करने का प्रयास करते हुए आदिवासियों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश करते रहे हैं.
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