Joharlive Team
रांची। देशभर में लॉक डाउन के समय इमरजेंसी सेवा को मुक्त रखते हुए अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड को खुला रखना है। मगर, यह सिर्फ कागज पर ही देखने को मिला। लॉक डाउन के समय कोरोना वारियर्स को ही इलाज के अभाव में अपने बच्चे को खोना पड़ा। मामला बीते रात रविवार की है। एक अखबार के फोटो जॉर्नलिस्ट विनय मुर्मू अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल अस्पताल घूमता रहा। मगर, किसी जगह उसकी पत्नी को समय पर इलाज नही मिला।
अंततः विनय मुर्मू अपनी पत्नी को सभी जगह भटकने के बाद गुरुनानक अस्पताल पहुंचा। जहाँ डॉक्टर ने देर रात जांच के बाद बता दिया कि बच्चे की पेट में ही मौत हो गयी है। ऑपरेशन कर मृत बच्चे को पेट से निकालना होगा। यह घटना से साफ हो गया कि गर्भवती महिलाओं के साथ आपात स्थिति होने पर उनके इलाज के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नही है।
- रात में दो बड़े अस्पतालों में उपलब्ध नही है सुविधा
लॉक डाउन के समय राजधानी के दो बड़े अस्पताल सदर और डोरंडा अस्पताल में रात के समय कोई सुविधा उपलब्ध नही है। इसका जीता जागता प्रमाण बीते रात फ़ोटो जॉर्नलिस्ट विनय मुर्मू को देखने मिला। इलाज के अभाव में अपने बच्चे को खोना पड़ा। ऐसी स्थिति में सरकार को दोनों अस्पतालों को बंद कर देना चाहिए। वहीं, डीसी को पूरे मामले की जांच कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यह सिर्फ खानापूर्ति के लिए कागज में सरकार को दिखा रहे है कि दोनों अस्पताल में इलाज चल रहा है।
- कई अस्पताल भटकने के बाद पहुंचा गुरुनानक अस्पताल
बीते रात विनय की पत्नी को दर्द शुरू हुआ तो हरमू स्थित एक निजी क्लीनिक में पहुंचा। मगर, वहाँ बताया गया कि कोई डॉक्टर उपलब्ध नही है। रिम्स या सदर अस्पताल लेकर जाये। फिर वह अपनी पत्नी को लेकर सदर अस्पताल पहुंचा, जहाँ इमरजेंसी सेवा बंद था। सिविल सर्जन से बात करने पर बताया गया कि डोरंडा औषधालय ले जाये। इसके बाद वहां जाने पर जानकारी मिला कि यहाँ कोई महिला डॉक्टर नही है।
इसके बाद रिम्स ले जाने के लिए बोला गया। इसी बीच गर्भवती महिला को ज्यादा दर्द हुआ, जिसके बाद अचानक गुरुनानक अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि, डॉक्टर ने जांच शुरू करते हुए बच्चे को काफी बचाने का प्रयास किया। लेकिन, सफलता डॉक्टरों को नही मिली।