पूनम सिंह
कोरोना वायरस जैसे महामारी से पूरा देश त्रस्त है। 3 मई तक देशभर में लॉक डाउन है। इस महामारी से बचने का कोई और रास्ता नहीं हैं। मगर, इस विपदा की घड़ी में सड़कों पर भटक रहे मूक प्राणियों को देखने वाला कोई नहीं। होटल, ढ़ाबा भी बंद होने के कारण बचे हुए भोजन पर जिंदा रहने वाले जानवरों के लिए भूखमरी की स्थिति सामने आ गयी है। देशभर में ऐसी विकट परिस्थिति में मूक प्राणियों की मदद के लिए एक संस्था सामने आयी हैं।
जिसका नाम है ”ध्यान फाउंडेशन”। संस्था के कार्यकर्ता सड़कों, जंगलों, बस्तियों में घूम-घूम कर जानवरों के भूख-प्यास मिटाने में दिन-रात जुटे हुए है। ”सर्वे भवन्तु सुखिन:” विचारधारा पर चलने वाले इस संस्था के कार्यकर्ता अपने आसपास जानवरों के अलावा असहाय व गरीब इंसानों की हर संभव मदद कर रहे है। संस्था के कार्यकर्ता को ‘ न तो कोविड-19 का डर है, ना ही उन्हें मौत की चिंता’। ध्यान फाउंडेशन को चिंता है तो सिर्फ भूखे बेसहारा जानवरों के दर्द की।
- क्या उद्देशय है ‘ध्यान फाउंउेशन’ का
ध्यान फाउंडेशन सृष्टि की सहायता के लिए काम करने वाला एक विचार है। वर्ष 2002 में इसकी शुरुआत हुई। इस संस्था का मुख्य उद्देशय जानवरों को तस्करों से मुक्त कराना है। वहीं इसके अलावा आसपास असहाय व गरीब लोगों की मदद करना भी। इस संस्था से जुडे़ एक-एक कार्यकर्ता निशुल्क सेवा दे रहे हैं। जानवरों के रेस्क्यू, पुनर्वास, चिकित्सीय देखभाल इनका मुख्य उद्देशय हैं। देश के अलावा विदेश में फैले तंत्र के जरिए एंबुलेस सेवाओं, पशु शेल्टर, भोजन कराने के स्थानों, प्लास्टिक निकालने की सर्जरी, कृत्रिम पैर लगाने, टीका करण अभियान, आपात राहत कार्यक्रम, पशुओं को गोद लेना, पशु कल्याण कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं।
- क्या काम कर रहा है ‘ध्यान फाउंडेशन’
‘ध्यान फाउंडेशन’ एक मात्र ऐसा संस्था है, जिसने जानवरों के लिए सीधा माफियाओं से दुश्मनी ली हैं। संस्था बीएसएफ के साथ मिलकर रोजाना भारत-बांग्लादेश सीमा पर बचाए गए मवेशियों के पुनर्वास और परवरिश की व्यवस्था कर रहे हैं। माफियाओं के डर से कोई दूसरी संस्था भी जानवरों को बचाने के लिए सामने नहीं आ रही हैं। ऐसी परिस्थिति में संस्था में काम करने वाले कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय के सीमावर्ती, सुदूर व दुर्गम इलाकों में महिनों तक घर परिवार को छोड़कर काम में जुटे रहते हैं। यह संस्था मवेशियों के लिए अस्थाई ठिकाने भी बनवा चुके हैं। वहीं, जानवरों की सेवा करने के लिए अपने स्तर से स्थानीय मजदूरों की व्यवस्था किए हैं। ध्यान फाउंडेशन में काम करने वाले एक-एक कार्यकर्ता अपने खर्च पर तस्करों के चंगुल से जानवरों को छुड़ाकर गौशाला तक पहुंचा रहे हैं।
- कहां-कहां कार्यरत है यह संस्था
ध्यान फाउंडेशन के कार्यकर्ता सड़कों पर घूम रहे जानवरों को दोनों वक्त का भोजन उपलब्ध कराने में सदैव तत्पर है। भारत के हैदराबाद, गोवा, देहरादून, कोलकाता, मुंबई, पुणे, लखनऊ, गुरुग्राम, असम, कोच्ची, नोएडा, चेन्नई, भुवनेश्वर, झारखंड, वृंदावन, कर्नाटक शामिल हैं। इतना ही नहीं यह संस्था विदेश में भी काम कर रही हैं। जिसमें थाईलैंड, जर्मनी, युनाईटेड किंगडम, कैलिफोर्निया, कनाडा, सिडनी और मेलबर्न शामिल हैं।