JoharLive Desk
नई दिल्ली। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे नए सेना प्रमुख होंगे। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे अभी 13 लाख की क्षमता वाली थल सेना में उप प्रमुख हैं। मौजूदा सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
इस साल सितंबर में सेना का उप प्रमुख पद संभालने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे। सेना की यह कमान चीन से लगती 4000 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा करती है।
अपने 37 साल की सेवा में उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवाद व उग्रवाद विरोधी अभियानों, शांतिकाल में विभिन्न कमानों का नेतृत्व किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर इंफैंट्री ब्रिगेड का नेतृत्व भी किया। लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे श्रीलंका भेजी गई भारतीय शांति बल का हिस्सा थे। वह म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास में तीन साल तक डिफेंस अटैची भी रहे।
वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र हैं। उन्हें जून 1980 में सिख लाइट इंफैंट्री रेजीमेंट की 7वीं बटालियन में कमीशन मिला था। उन्हें जम्मू-कश्मीर में अपनी बटालियन की सफलतापूर्वक व प्रभावी ढंग से नेतृत्व के लिए सेवा मेडल से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें नगालैंड में असम राइफल्स (नार्थ) के इंस्पेक्टर जनरल के तौर पर सेवाओं के लिए विशिष्ट सेवा मेडल और प्रतिष्ठित हमलावर कोर की कमान के लिए अतिविशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया।
सूत्रों के मुताबिक, थल सेना के प्रमुख पद की होड़ में लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे के अलावा नार्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और सार्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट एसके सैनी भी थे। इन तीनों अधिकारियों के नाम की सूची कैबिनेट की नियुक्ति समिति को भेजी गई थी। लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे के नाम पर प्रधानमंत्री ने मुहर लगाई।
आम तौर पर नए सेना प्रमुख का फैसला वरिष्ठता के आधार पर होता है लेकिन चार मौके पर इस व्यवस्था का पालन नहीं किया गया। ऐसा जनरल केसी थिमैय्या, टीएन रैना, एएस वैद्य और बिपिन रावत के मामले में हुआ। जनरल रावत को लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी पर वरीयता देते हुए सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। इस पर काफी विवाद भी हुआ था।