Joharlive Team
रांची। रांची की निर्भया नाम से चर्चित लॉ छात्रा दुष्कर्म कांड में अदालत ने दोषियों को जिंदगीभर जेल में रहने की सजा दी है। सामूहिक दुष्कर्म के इस मामले में सभी 11 दोषियों को सोमवार को सजा सुनाते हुए न्यायायुक्त नवनीत कुमार की अदालत ने इस सामूहिक दुष्कर्म कांड को जघन्य अपराध माना है। दोषियों को आजीवन कारावास के साथ ही अदालत ने अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा दी है। सोमवार को सुनवाई के क्रम में कोर्ट में झारखंड पुलिस के डीजीपी केएन चौबे भी मौजूद रहे। दोषियों की पेशी बिरसा मुंडा जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई। अदालत ने इस मामले में स्पीडी ट्रायल के दम पर महज 90 दिनों के रेकॉर्ड टाइम में दोषियों को सजा सुनाते हुए पीड़िता को इंसाफ दिया। इस दौरान सिविल कोर्ट परिसर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। यहां फैसले को लेकर अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई।
दोषी युवकों में कुलदीप उरांव, सुनील उरांव, संदीप तिर्की, अजय मुंडा, राजन उरांव, नवीन उरांव, बसंत कच्छप, रवि उरांव, रोहित उरांव, सुनील मुंडा और ऋषि उरांव शामिल हैं। प्रधान न्यायायुक्त नवनीत कुमार की अदालत ने आरोपियों को अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और आपराधिक षडयंत्र रचने का दोषी ठहराया था। दोषी करार दिए जाने के बाद सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए दो मार्च की तरीख तय की गई थी।
पीड़िता ने कांके थाने में घटना के अगले दिन 27 नवंबर को मामला दर्ज कराया था। मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक माह 20 दिन में आरोपियों को दोषी करार दिया था। कोर्ट में 6 जनवरी 2020 को आरोप तय हुआ था। 7 जनवरी से 12 जनवरी तक गवाही हुई। कोर्ट में हर दिन गवाहों के बयान देर शाम तक दर्ज किए गए। 21 गवाहों के बयान दर्ज किए। 13 से 24 फरवरी तक दोनों पक्षों की ओर से बहस हुई। इसके बाद काेर्ट ने 26 फरवरी को आरोपियों को दोषी करार दिया था।
पीड़ित ने एफआईआर में बताया था कि 26 नवंबर की देर शाम वह संग्रामपुर बस स्टॉप पर अपने मित्र के साथ बैठी थी। तभी वहां बाइक सवार दो और कार में बैठे सात युवक पहुंचे। बाइक सवार युवकों ने पहले मारपीट की, फिर जबरन उठाकर बाइक से ले गए। एक नर्सिंग होम के पास उनकी बाइक का पेट्रोल खत्म हो गया, तो पीछे से आ रही कार में डालकर एक ईंट-भट्ठे की ओर ले गए, वहां सभी ने दुष्कर्म किया। कुछ देर बार छात्रा के दोस्त की स्कूटी से तीन और युवक वहां पहुंचे थे।