लातेहारः बेतला नेशनल पार्क में रेस्क्यू के बाद सुरक्षित रखे गए हाथी के बच्चे की मौत हो गई है. हाथी के बच्चे की मौत के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने वन प्रशासन पर उसके देखभाल में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए जमकर आक्रोश जताया है. ग्रामीण पूरे मामले की जांच के बाद दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. दरअसल पिछले महीने मंडल डैम के निकट कोयल नदी से एक हाथी के बच्चे को रेस्क्यू किया गया था.
हाथी का बच्चा अपने झुंड से बिछड़ कर नदी में गिर गया था. बाद में स्थानीय ग्रामीणों की मदद से वन विभाग के द्वारा हाथी के बच्चे को बेतला नेशनल पार्क में सुरक्षित रखा गया था. परंतु इसी बीच उसकी मौत की खबर आने के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है.
हाथी के बच्चे की मौत के बाद वन विभाग के कर्मी एक वाहन के पीछे हाथी के बच्चे को दफनाने के लिए ले जा रहे थे. उस वाहन पर चार- पांच वन विभाग के कर्मी भी सवार थे. ग्रामीणों को जैसे ही इसकी सूचना मिली, बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने वहां पहुंचकर वाहन को घेर लिया. ग्रामीणों ने विरोध जताते हुए वन कर्मियों को वाहन से नीचे उतार दिया. ग्रामीणों का आरोप था कि हाथी के बच्चे की देखभाल में विभाग के द्वारा घोर लापरवाही बरती गई है. वहीं उसकी मौत के बाद चुपचाप उसे छिपा कर दफनाने की तैयारी की जा रही थी.
हालांकि वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथी के बच्चे की देखरेख और इलाज में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती गई है. बता दें कि जिस हाथी के बच्चे की मौत हुई है, रेस्क्यू करने के बाद उसे बेतला नेशनल पार्क में रखा गया था, जहा वो बेतला नेशनल पार्क के कर्मचारियों से घुल-मिल गया था. ट्रैकर के साथ वो हर वक्त रहता था. हाथी के बच्चे ने ट्रैकर वंशी यादव को मां बना लिया था और उसी के साथ खाता, सोता और घूमता था. रात के अंधेरे में भी हाथी का बच्चा वंशी यादव को खोज लेता था और उसके बगल में सो जाता है. इस बच्चे की देखभाल को लेकर वंशी यादव और रघुनाथ नामक ट्रैकर की ड्यूटी लगाई गई थी.