Chatra : चतरा के टंडवा स्थित मगध और आम्रपाली कोल परियोजना से जुड़े टेरर फंडिंग मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने कारोबारी सुदेश केडिया की याचिका खारिज कर दी है. केडिया ने NIA द्वारा सितंबर 2018 में की गई छापेमारी के दौरान बरामद 9 लाख 95 हजार रुपये की वापसी के लिए याचिका दायर की थी.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सुदेश केडिया की ओर से दावा किया गया था कि यह राशि उनके व्यवसाय से संबंधित है और टेरर फंडिंग का हिस्सा नहीं है. उनका कहना था कि इस पैसे से अपने कर्मियों को सैलरी दी जानी थी, इसलिए इसे वापस किया जाए. हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए उनकी याचिका पर फैसला सुनाया और इसे अस्वीकार कर दिया.
इस मामले में NIA ने टेरर फंडिंग के आरोप में जांच की थी और 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है. NIA ने अपनी जांच में पाया कि CCL, पुलिस, उग्रवादी और शांति समिति के बीच समन्वय से टेरर फंडिंग की जा रही थी. विशेष रूप से, तृतीय प्रस्तुति कमेटी (TPC) को फंड देने के लिए मगध और आम्रपाली परियोजना से कोयला ढुलाई का ठेका लिया गया था.
इस मामले में NIA ने कई आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित किए हैं, जिसमें आधुनिक पावर के तत्कालीन महाप्रबंधक महेश अग्रवाल, बीकेबी ट्रांसपोर्ट के उपाध्यक्ष विनीत अग्रवाल, सोनू अग्रवाल उर्फ अमित अग्रवाल, कारोबारी सुदेश केडिया, ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह, अजय सिंह, मास्टरमाइंड सुभान खान, टीपीसी के जोनल कमांडर आक्रमण उर्फ रवींद्र गंझू उर्फ नेताजी, क्षेत्रीय कमांडर ब्रजेश गंझू उर्फ गोपाल सिंह भोक्ता, बिंदेश्वर गंझू उर्फ बिंदु गंझू, भीखन गंझू उर्फ दीपक गंझू, प्रदीप राम, विनोद गंझू, मुनेश गंझू, बीरबल गंझू, मुकेश गंझू उर्फ मुनेश्वर गंझू, कोहराम एवं अनिश्चय गंझू शामिल हैं
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