Vinita Choubey
रांची : लापुंग साईं मंदिर… शहर की रोजमर्रा वाली जिंदगी (ऑफिस टू घर और घर टू ऑफिस) से बोर हो गए हैं…या सड़कों पर गाड़ियों की शोर चुभ रही है तो फिर वीकेंड पर टाइम निकालिए और चलिए चलते हैं प्रकृति की गोद में बसा लापुंग का साईं मंदिर.
ये मंदिर आध्यात्म और अनूठी स्थापत्य कला के कारण सैलानियों को बरबस ही आकर्षित करता है. यकीन मानिए, आपको यहां आने के बाद सुकून और शांति की अनुभूति होगी. सालों भर सैलानी यहां के शांत वातावरण और प्रकृति की खूबसूरती का लुत्फ लेने के लिए आते रहते हैं.
प्रकृति की गोद में बसा साईं मंदिर
झारखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है. यहां कि ऊंची पहाड़ी, चारों तरफ फैली हरियाली, जलप्रपात और घने जंगल सबको अपनी ओर आकर्षित करती है. बेड़ो का साईं मंदिर जो रांची जिला के देवगांव पंचायत के सरसा गांव में स्थित है. सरसा गांव की खूबसूरत वादियों में बसे साई मंदिर में सालोंभर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं.
अगर रास्ते की बात करें तो झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 35 किलोमीटर दूर है बेड़ो, और वहां से फिर जामटोली जानेवाले रास्ते में 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है साईं मंदिर. यहां गुरूवार और रविवार को काफी संख्या में भीड़ होती है. मंदिर में ये दोनों दिन साईं भक्तों का तांता लगा रहता है. इस दिन साईं बाबा की विशेष पूजा की जाती है. सुबह से शाम तक लगातार भजन का आयोजन किया जाता है. आधुनिक परंपरा और संस्कृति के साथ बाबा के भव्य दर्शन तथा वनभोज के लिए पूरे राज्य में यह अपने तरीके का पहला पर्यटन स्थल है.
मंदिर की स्थापना के लिए रैयतों ने दान की अपनी जमीन
साईं मंदिर का निर्माण 23 अप्रैल 1994 को हुआ था. मंदिर बनाने के लिए वहां के रैयतों ने 35 एकड़ अपना जमीन दान में दे दी है. मुख्य द्वार पर स्थित शिलापट्ट में जमीन दान करनेवालों के नाम लिखे हुए हैं.
एक बात का जिक्र करना चाहेंगे यहां कि मंदिर के बनने से गांव की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आया है. जिन स्थानीय रैयतों ने अपनी जमीन दी थी, वो मंदिर की देखरेख में शामिल हैं. इसके अलावा मंदिर के सामने कई स्थानीय लोगों ने पूजा सामग्री की दुकान खोली है. लोग फूल और प्रसाद के स्टॉल के साथ खाने पीने की दुकान तक लगाये हुए हैं. इससे उन्हें कमाने के लिए गांव से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती. मंदिर के बाहर कई लोग सब्जी बेचते हैं. बताते चलें कि यहां 23 अप्रैल और गुरु पूर्णिमा के मौके पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन भी होता है.
हर रोज मंदिर में प्रसाद का वितरण
मंदिर के आस-पास की बात की जाए तो बगान और बगीचे है. जहां आप घंटो बैठकर समय व्यतीत कर सकते है. बच्चों के खेलने के लिए बहुत अच्छी जगह और झुले है. मंदिर में हर रोज प्रसाद का वितरण किया जाता है. मंदिर में रात में रुकने की भी व्यवस्था है, हालांकि रात में रुकने के लिए एक कमरे के लिए ₹300 देने होंगे.
जयपुर से बनवाई गई है संगमरमर की मूर्ति
जयपुर से साईं बाबा की संगमरमर की आदमकद मूर्ति बनवायी गई. महाराष्ट्र के शिरडी साईं बाबा की अखंड धुनी लाकर यज्ञशाला स्थापित की गई. इस मंदिर का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने किया. हर दिन मंदिर में सुबह पांच बजे से काकड़ आरती, धूप आरती, मध्याह्नन आरती, संध्या आरती सेज आरती समेत अन्य कार्यक्रम आयोजित होते है.
यहां पर्यटक पूरे परिवार के साथ जंगल के किनारे वन भोज का आनंद लेने के लिए आते हैं. पर्यटन विभाग की ओर से मंदिर परिसर में दो यात्री शेड बनाए गए हैं. यहां सारे कार्यक्रम शिरडी सरसा साईं मंदिर ग्राम विकास केंद्र संचालित करता है.
विशेष है मंदिर की वास्तुकला
साई धाम की वास्तुकला काफी विशेष है. इस मंदिर की बनावट सप्तकोणीय है, जिसमें 7 दरवाजे हैं. मंदिर की दीवारें कर्रा से मंगाए गए पत्थरों से बनी हैं और खप्पड़ की छत बनाई गई है. साईं मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति के अलावा दत्तात्रेय तथा गणेश जी का चित्र लगा है. मंदिर के अंदर दो नगाड़े तथा ज्ञानरंजन का चित्र भी लगा है.
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